कुछ लोग आई. टी. और सोफ्टवेअर में भारत की कामयाबी को ही पूर्ण राष्ट्र कि तरक्की मानते हैं। क्या यह देश केवल सोफ्टवेअर और आई टी इंजिनीयर्स का ही है बाकी जनता को देश निकाले कि सजा देनी चाहिए। क्या केवल एक क्षेत्र में तरक्की करके इतने विशाल देश का भरण-पोषण हो सकता है। एक अनुमान के अनुससार २०२० तक भारत में १५ करोड़ से भी अधिक बेरोजगार हो जायेंगे और अब भी कितने ही करोडो लोग भूखे-नंगो का नर्कीय जीवन जीने पर मजबूर हैं।ये कैसी तरक्की कि है भारत ने १९९७ से करीब १ लाख ८२ हजार ९३६ किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि सरकार अमेरिका कि नक़ल से बेलआउट में मस्त है।२००७ के दौरान १६६३२ किसानों ने आत्महत्या कर ली। इनमें सर्वाधिक किसान महाराष्ट्र से हैं। गांव-देहात में मौत का धारावाहिक तांडव जस का तस जारी है। दिन-प्रतिदिन बेरोजगारी बढती जा रही है और भारत के इंजिनियर अमेरिका और ब्रिटेन के लिए काम करके बहुत प्रसन्न हो रहे हैं कि देश तरक्की कर रहा है। यदि वर्तमान में देश कि समस्याओं पर एक पुस्तक लिखी जाए तो कम से कम १०००० पृष्ठ तो आराम से लिखे जा सकते हैं। जो भारत का शहरी धनाड्य और संपन्न वर्ग है उसको केवल अपनी तरक्की ही सारे देश कि तरक्की नज़र आती है किंतु कटु सत्य यह है मुश्किल से २-३ करोड़ लोग ही संपन्न हैं और अधिक से अधिक ५ करोड़ हैं और ये ही लोग ओर अधिक संपन्न होते जा रहे हैं और ये ही लोग देश पर राज भी कर रहे हैं और बाकी जनता को लच्छेदार बातो में उलझा के उनका शोषण कर रहे हैं।ऊपर से सेकुलर्स खुलेआम प्रत्यक्ष आतंकवादियों को समर्थन देते हैं और शान्ति का राग अलाप करके जनता के विद्रोह या क्रांति को शांत करने में लगे रहते हैं । मजे कि बात देखो जनता का बेवकूफ उसी के सामने बनाया जा रहा है और जनता जातियों और गुटों में विभाजित होकर अपना बलात्कार करा रही है और जरा सी लज्जा भी नही है। अब राष्ट्रभक्ति का भी वो सम्मान नहीं है ओर लोग स्वतंत्रता को Happy Republic Day या Happy Independence Day कह कर अपना कर्तव्य पूर्ण करते हैं। यदि लोग ये समझते हैं की १९४७ में देश स्वतंत्र हुआ था तो वो एक बहुत बड़े भुलावे में हैं गौर से इतिहास को पलट कर देखो ओर जिनके हाथो में वो सत्ता आई थी उनका व्यक्तित्व देखो तो पाओगे वह एक सत्ता का स्थानांतरण था जो की कुछ अंग्रेजो से हट कर दूसरे अंग्रेजो के हाथ में आ गई थी। उन्होंने उस समय न तो अंग्रेजो के कानून को बदला न ही अपनी शिक्षा पद्धति लागू की, न ही ग़लत इतिहास को बदलने का प्रयास किया और न ही देश को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया वरन् देश को अंग्रेजो की नीति पर ही मुस्लिम तुष्टिकरण, भाषा, जाति आदि के नाम पर इसको खंड-बंड कर दिया। ये कैसी स्वतंत्रता है भाई मेरी समझ से परे है। इन्होने देश को मानसिक गुलाम बना दिया ओर उसीका परिणाम है आज जनता ने स्वयम ही देश की सत्ता एक विदेशी महिला के चरणों में अर्पित करदी अब केवल उसका मन्दिर बनाना ही बाकी है।
हमें राष्ट्र और राष्ट्रवाद को जानना चाहिए यजुर्वेद के अनुसार
आ ब्रह्मन ब्राहमणों ब्रह्मवर्चसी जायतामा राष्ट्रे राजन्यः शूरअइषव्योअतिव्यधि महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोधानडवानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णू रतेष्ठा सभेयो युवास्या यजमानस्य वीरो जायतां, निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नअओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम्।।
इस सूक्त के अनुसार जन समूह, जो एक सुनिश्चित भूमिखंड में रहता है, संसार में व्याप्त और इसको चलने वाले परमात्मा अथवा प्रकृति के अस्तित्व को स्वीकारता है, जो बुद्धि या ज्ञान को प्राथमिकता देता है और विद्वजनों का आदर करता है, और जिसके पास अपने देश को बाहरी आक्रमण और आन्तरिक, प्राकृतिक आपत्तियों से बचाने और सभी के योगक्षेम की क्षमता हो, वह एक राष्ट्र है।
अंग्रेजी भाषा के ऑक्सफोर्ड शब्दकोष में नेशन शब्द का अर्थ बताया गया है - 'वह विशिष्ट जाति अथवा जन समूह जिसका उदगम, भाषा, इतिहास अथवा राजनीतिक संस्थाएं समान हों ।'
वैसे पश्चिम में नेशन को और अलग-अलग तरीको से भी परिभाषित किया गया है। आज का संसार नेशन-स्टेट्स में विभाजित है। आप देख सकते हैं भारत की राष्ट्र की परिभाषा और पश्चिम में कितना अन्तर है। यह भी एक पूर्ण विषय है जिस पर पूरी पुस्तक लिखी जा सकती है। मेरा यहाँ पर तात्पर्य ये है की भारत एक राष्ट्र है और उसकी आत्मा वहां की संस्कृति और लोगो की वो भावना है जो उनको एक राष्ट्र के लिए समर्पित करती है । किंतु आज न केवल इसके राष्ट्र होने में संदेह किया जाता है वरन इसकी आत्मा हिंदू समाज को आतंकवादी, अत्याचारी जैसे शब्दों से परिभाषित किया जाता है। पूरे विश्व में सनातन धर्म या हिन्दुओ की छवि को कलंकित करने का व्यापक तौर पर कार्य और षडयंत्र किया जा रहा है। खुलेआम प्रत्यक्ष राष्ट्रवादी शक्तियों का दमन हो रहा है और आज का हिंदू समाज मौन धारण किए किसी ईश्वरीय अवतार की प्रतीक्षा में बैठा दिखाई देता है जबकि मनुष्य अपने कर्मो का स्वयं कर्ता और भोक्ता होता है। और सत्य की तभी जीत होती है जब उसके जीतने की चेष्टा होती है यदि कोई प्रयास ही नही करेगा तो ये देश इन सेकुलर्स जिनका उद्देश्य ही हिंदू,हिन्दुज्म को जड़ से मिटाना है के हाथो गुलाम या मुस्लिम मजहबी देश में परिवर्तित हो जाएगा । ये सेकुलर्स यहाँ यू. एस. में और विदेशो में बैठे भारतीयों को अपने राष्ट्र से काटने के लिए विशेष फिल्में या मूवी बनाते हैं, पुस्तकें लिखते हैं, समाचार पत्र पर लेख लिखते हैं आदि कार्य ये बड़ी ही दृढ़ इच्छा के साथ युद्ध स्तर पर कर रहे हैं।ये सेकुलर लोग जिमी मानसिकता से ग्रस्त जिमी-टैक्स अदा कर रहे हैं जो मुग़ल काल में हिन्दुओं से लिया जाता था।
आप में से काफ़ी लोगो ने स्वतंत्रता की लड़ाई और क्रांतिकारियों के बारे में जब-जब पढ़ा होगा तो आप लोगो में भी एक राष्ट्रवाद की भावना जाग्रत होती होगी और ये भी सोचते होगे कि यदि मैं उस समय होता तो क्रांतिकारी होता तो आज ये राष्ट्र अपने भक्तो को फ़िर से आमंत्रण दे रहा है उन्हें क्रांतिकारी बनने का ओर देश पर बलिदान होने का फ़िर से मौका दे रहा है और आज फ़िर से एक स्वतंत्रता संग्राम की आवश्यकता है अन्यथा इस विश्व से विश्वगुरू सनातन सभ्यता का नामो-निशान मिट जाएगा। गीता में भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है-
स्वतः प्राप्त हे पार्थ ! खुले यह, स्वर्ग-द्वार के जैसा।
भाग्यवान क्षत्री ही करते, युद्ध प्राप्त हैं ऐसा।।
जागो जागो जागो !!
वंदे मातरम्
भाग्यवान क्षत्री ही करते, युद्ध प्राप्त हैं ऐसा।।
जागो जागो जागो !!
वंदे मातरम्