tag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post338992448837524562..comments2023-07-05T03:34:17.859-07:00Comments on सत्यार्थ-प्रकाश: दयानंद जी ने क्या खोजा क्या पाया (भाग ३)सौरभ आत्रेयhttp://www.blogger.com/profile/05755493100532160245noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post-13240631463085745202010-12-02T03:33:29.475-08:002010-12-02T03:33:29.475-08:00reed yatharthgeeta.comreed yatharthgeeta.comchandra shekhernoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post-23703747076606852022010-06-22T05:42:57.295-07:002010-06-22T05:42:57.295-07:00मैं आपको स्पष्ट रूप से धर्म का आइना दिखाना चाहता ह...मैं आपको स्पष्ट रूप से धर्म का आइना दिखाना चाहता हु,,आर्य धर्म एक गहरा अंधकार से भरा हुआ कुंवा है जहा पे शुद्रो और नारियो के बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है ,,,,,आर्य धर्म के अनुसार जाती कभी भी जन्म के आधार पे नहीं होती थी,वो तो कर्म के अनुसार ही होती थी...पर कुछ लोगो द्वारा अपने विशेषाधिकार को बचाने के लिए जन्म के आधार पे जाती का निर्धारण किया,जो की पूर्णतया गलत है....veerhttps://www.blogger.com/profile/01336598859692478436noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post-55264723157638196792010-03-05T03:50:45.220-08:002010-03-05T03:50:45.220-08:00तुम लोग अपनी सिद्धांत विरुद्ध बातों से नहीं मानोगे...तुम लोग अपनी सिद्धांत विरुद्ध बातों से नहीं मानोगे क्योंकि विषय है यहाँ पर क्या और क्या बकने लग गए, अब यदि मैं तुम्हारी इन सब बातों का उत्तर देता हूँ फिर तुम कोई और विषय के विपरीत बात सन्दर्भ-प्रसंग रहित उठाकर लाओगे या फिर जिस बात का जहाँ कोई भावार्थ नहीं है उसमें अपनी मोटी बुद्धि के अनुससार टांग घुसेड़ोगे.वास्तव में तुम और तुम्हारा अनवर जमाल टाइप बकवास लोग सत्यता से डरते हैं और तुम्हारे अंदर कूट-कूट कर जेहादी जहर भरा गया है जिसका इलाज अब कुछ नहीं है क्योंकि तुम्हारी गन्दी मोटी बुद्धि अपनी गन्दी हरकते करने से नहीं मानेगी. <br /><br />मैं तुम्हारी इन बकवास बातो पर अब ध्यान देने वाला नहीं हूँ क्योंकि तुम लोग सत्य जानना चाहते ही नहीं हो बस तुम्हारा उद्देश्य हिंदुओं या आर्यो का विरोध करना है जिस में कोई नयी बात भी नहीं है ये तो दस्यु या म्लेच्छ लोग करते ही आये हैं. ये तो भविष्य ही बताएगा कि सत्य धर्म जीतेगा या जाहिलो का मजहब.सौरभ आत्रेयhttps://www.blogger.com/profile/05755493100532160245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post-69615671168613789982010-03-04T10:01:03.959-08:002010-03-04T10:01:03.959-08:00AADARNIYA AATRAY JI
aapko malum h ki kya kahtey h ...AADARNIYA AATRAY JI<br />aapko malum h ki kya kahtey h doctor anwar jamal aapkey baarey m aur aapki aapattiyo k barey m.<br />see below:<br />http://vedquran.blogspot.com/2010/03/aryan-method-of-breeding-156-24-20-1927.html<br />एक आदर्श आर्य के लिए जीवन में सोलह संस्कारों का पालन करना अनिवार्य है । उनमें से एक है गर्भाधान संस्कार । अब इसका पालन कोई कोई ज्ञानी टाइप ही करता है जबकि पहले इसका चलन अमीर आर्यों में आम था ।गर्भाधान संस्कार की दयानन्दी रीति”जिस रात गर्भाधान करना हो उस दिन हवन आदि करे और वहां निर्दिष्ट 20 मंत्रों से घी की आहुतियां दे। चारों दिशाओं में पुरोहित बैठें । इसके बाद घी दूध ‘शक्कर और भात मिलाकर छः आहुतियां अग्नि में डाले । तत्पश्चात आठ आहुतियां घी की दे । आठ आहुतियां घी की फिर दे । इसके बाद नौ आहुतियां दे । बाद में ताज़ा घी और मोहन भोग की चार आहुतियां दे । जो घी ‘शोष रहे उसे लेकर वधू स्नानागार में जाए और वहां पैर के नख से लेकर शिर पर्यंत सब अंगों पर मले । तत्पष्चात वह नहा धो कर हवन कुंड की प्रदक्षिणा करके सूर्य के दर्शन करे । बाद में पति उसके पिता पितामह आदि अन्य माननीय पुरुषों पिता की माता अन्य कुटुंबी और संबंधियों की वृद्ध स्त्रियों को नमस्कार करे । तत्पश्चात पुरोहितों को भोजन कराये और सत्कारपूर्वक उन्हें विदा करे । रात्रि में गर्भाधान क्रिया करे । जब वीर्य गर्भाषय में गिरने का समय आए तब दोनों स्थिर ‘शरीर प्रसन्नवदन मुख के सामने मुख नासिका के सामने नासिका आदि सब सूधा ‘शरीर रखे । वीर्य का प्रक्षेप पुरुष करे। जब वीर्य स्त्री के ‘शरीर में प्राप्त हो उस समय अपना पायु (गुदा) और योनींद्रिय को ऊपर संकुचित कर और वीर्य को खैंच कर स्त्री गर्भाशय में स्थिर करे । गर्भ स्थापित होने के दूसरे दिन सात आहुतियां दे । फिर ‘शांति आहुति देकर पूर्णाहुति दे ।” (संस्कार प्रकाश प्रथम संस्करण 1927 भाषा टीका संस्कारEMRAN ANSARIhttps://www.blogger.com/profile/08550854229093869635noreply@blogger.com