tag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post3793217070201345384..comments2023-07-05T03:34:17.859-07:00Comments on सत्यार्थ-प्रकाश: सत्य का निर्धारण कैसे हो (न्यायदर्शनम् भाग ३)सौरभ आत्रेयhttp://www.blogger.com/profile/05755493100532160245noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post-84118353950365567982010-04-26T05:16:37.294-07:002010-04-26T05:16:37.294-07:00@saurabh
नवल जैसे मूर्खों का क्या होगा ???
ये वों...@saurabh<br /> नवल जैसे मूर्खों का क्या होगा ???<br />ये वों हिन्दू है जिससे सिर्फ बातों को सुनकर या उलटी सीधी किताबें या जमाल जैसो मुर्ख लोगों के ब्लॉग पढ़ कर ,कुए के मेंढक की तरह टर्र-२ करते हैं |nitin tyagihttps://www.blogger.com/profile/04520524770114280321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8746521733415134281.post-10140021480792829652010-04-03T00:24:29.467-07:002010-04-03T00:24:29.467-07:00mahoday ek comments men mene padha he aap batyen t...mahoday ek comments men mene padha he aap batyen theek he ya ghalat<br /><br />स्वामी दयानंद सरस्वती ने दाह संस्कार की जो विधि बताई है वह विधि दफ़नाने की अपेक्षा कहीं अधिक महंगी है। जैसा कि स्वामी जी ने लिखा है कि मुर्दे के दाह संस्कार में “शरीर के वज़न के बराबर घी, उसमें एक सेर में रत्ती भर कस्तूरी, माषा भर केसर, कम से कम आधा मन चन्दन, अगर, तगर, कपूर आदि और पलाष आदि की लकड़ी प्रयोग करनी चाहिए। मृत दरिद्र भी हो तो भी बीस सेर से कम घी चिता में न डाले। (13-40,41,42)<br />स्वामी दयानंद सरस्वती के दाह संस्कार में जो सामग्री उपयोग में लाई गई वह इस प्रकार थी - घी 4 मन यानी 149 कि.ग्रा., चंदन 2 मन यानि 75 कि.ग्रा., कपूर 5 सेर यानी 4.67 कि.ग्रा., केसर 1 सेर यानि 933 ग्राम, कस्तूरी 2 तोला यानि 23.32 ग्राम, लकड़ी 10 मन यानि 373 कि.ग्रा. आदि। (आर्श साहित्य प्रचार ट्रस्ट द्वारा प्रकाषित पुस्तक, ‘‘महर्शि दयानंद का जीवन चरित्र’’ से) उक्त सामग्री से सिद्ध होता है कि दाह संस्कार की क्रिया कितनी महंगी है।naval_kishorehttps://www.blogger.com/profile/17092207840010771756noreply@blogger.com