बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

दयानंद जी ने क्या खोजा क्या पाया (भाग १)

मुस्लिम लोगो को और कुछ हिन्दुओं को भी भारतीय या हिन्दू संतो में सबसे अधिक समस्या मह्रिषी दयानंद सरस्वती जी से होती है, काफी लोगो पता है कि ऐसा क्यों है पर फिर भी बहुत से लोग अनभिज्ञ हैं. किसी गुमनाम लेखक डॉ अनवर जमाल ने एक पुस्तक ही लिख डाली "दयानंद जी ने क्या खोजा क्या पाया" और एक सरफिरा उमर कैरानवी इन्टरनेट पर उसके प्रचार में दिन रात तत्पर है.और भी कुछ लोग लगे हैं इस प्रचार में और इसके साथ-२ मुहम्मदसाहब को हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार अंतिम अवतार घोषित करने लगे हैं ताकि हिन्दू भी उनके छलावों में आ कर उनके असत्य को सत्य मान ले. ये लोग हिन्दू धर्म ग्रंथो में से कुछ शब्द और वक्तव्य ऐसे निकालते हैं जैसे "मकान" और "दुकान" में से कान निकाल कर उसकी व्याखा करने लगे. उदाहरण के तौर पर मेरे पास एक फॉरवर्ड होकर ईमेल आई जिसमें एक पॉवर पॉइंट प्रेसिंटेशन में एक स्थान पर एक वैदिक मन्त्र में एक शब्द "अहमिधि" को हाई लाइट करके यह बताया गया है कि देखो वेदों में भी लिखा है "उस अंतिम अवतार का नाम अहमद होगा और वो ईश्वर से मजहबी नियम लेगा और वो सत्य से परिपूर्ण होंगे". एक स्थान पर भविष्य पुराण में महामद शब्द को दिखा कर दर्शाया गया है.

अब एक बुद्दिमान व्यक्ति को तो इनका मिथ्या प्रचार और बुद्धि का दिवालियापन नज़र में आता है किन्तु कुछ हिन्दू अवश्य भ्रम और शंका में पद कर सोचने लगते हैं कहीं ऐसा वास्तव में तो नहीं है और आधुनिक रिलिजन सेकुलर उनकी शंका में आग में घी का कार्य करते हैं, हालाँकि अभी हिन्दुओं पर इनके दुष्प्रचार का इतना असर नहीं दिखता किन्तु जैसे केंसर का अगर पहले ही स्टेज पर निदान आवश्यक है उसी प्रकार इनको रोकना आवश्यक है. सर्वप्रथम तो उन शसंकित हिन्दुओं को आत्म मंथन करना चाहिए की क्या कभी किसी मान्य वैदिक पुस्तक के भाष्यार्थ में किसी विद्वान ने कहीं इस तरह की बाते लिखीं है, क्या इस्लाम के जन्म से पहले कोई ऐसा विद्वान नहीं हुआ जो वैदिक पुस्तकों के इस मंतव्य को समझ सका कि अहमद या मोहम्मद नाम का अवतार होगा, हाल तो हमारी किसी भी मान्य प्रमाणिक पुस्तक में अवतारवाद को ही मान्यता ही नहीं है और जिस भविष्य पुराण कि ये व्याखा करते फिरते हैं वो वैसे भी कोई हिन्दुओं की प्रमाणिक पुस्तक नहीं है तो उसमें या अन्य पुराणों का उदाहरण देना ही गलत है. किन्तु मुझे इतना आभास भी है कि इन पुराणों में भी ऐसा नहीं लिखा और ये उनकी भी गलत व्याखा करते हैं. वैदिक संस्कृत का जिन्हें अ ब स भी नहीं पता वो वेदों के मंत्रो कि व्याखा करने निकले हैं. जैसे जाकिर नाईक जैसे जोकर वैदिक पुस्तकों के पृष्ठ नंबर, अध्याय नंबर ऐसे बोलते हैं जैसे उन्हें हिन्दू धर्म ग्रंथों का कितना गहन अध्यन किया हुआ है. ऐसे इस्लामिक वकीलों जो तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं यदि हिन्दू अपने विद्वानों की बातों को छोड़ कर इन पर विश्वास करेगा वो इस नरकीय मूड़ता भरे अंधविश्वास में जा फंसेगा. मैंने रवि शंकर जी और जाकिर नाइक जी के यू ट्यूब पर एक डीबेट कांसेप्ट ऑफ़ गोड देखी और मुझे ये आश्चर्य हुआ कि रवि शंकर जी जिनको लोग श्री श्री रवि शंकर जी बोलते हैं जाकिर नाइक के कुतर्को का ढंग से उत्तर ही नहीं दे पाए, तभी मुझे अहसास हुआ हम हिन्दुओं के इन धार्मिक गुरुओं के ज्ञान और साहस का जो एक चालाक लोमड़ी से भी मात खा गए और दुःख के साथ कहना पड़ता है न ही वो हिन्दुओं के दर्शन को जनता के सामने ढंग से रख पाए बल्कि जाकिर नाइक ने कुरान को अपने उलटे-सीधे कुतर्को से ईश्वरीय पुस्तक घोषित करके रवि शंकर जी को उसकी एक प्रति की भेंट दे दी.

खैर मैं बात दयानंद सरस्वती जी क़ी कर रहा था. उनके द्वारा लिखित सत्यार्थ प्रकाश के १४वें अध्याय में मुस्लिम मजहब ग्रन्थ कुरान की संक्षिप्त में समीक्षा की गयी है जिसमें कुरान की मिथ्या बातों का खंडन किया गया है और कहा है जैसे हांडे में कुछ चावल देखकर ही पूरे चावलों के कच्चे या पकने का पता लग जाता है उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को इन बातों को पढ़कर समझ जाना चाहिए कि यह पुस्तक ईश्वरीय नहीं हो सकता. वैसे इस पुस्तक में १३वें अध्याय में इसाई मत का और ११वें व १२वें में अनेक हिन्दू सम्प्रदायों की मिथ्या बातों का भी तर्कपूर्ण खंडन है और पूरी पुस्तक में हिन्दुओं के वास्तविक सनातन, वैदिक अथवा हिन्दू धर्म के वास्तविक दर्शन और सिद्दांतों को अत्यंत तर्कपूर्ण तरीके से श्रेष्ठ घोषित किया गया है जोकि किसी भी साम्प्रदायिक व्यक्ति को आराम से यह बात पचती नहीं है. इसमें हिन्दुओं के आधुनिक अनेक सम्प्रदायों के मूल पर भी तर्कपूर्ण प्रहार किया गया है जिस कारण यह पुस्तक अनेक निष्टावान हिन्दुओं को भी हज़म नहीं होती है किन्तु एक बुद्दिमान व्यक्ति इसको निष्पक्षता से पढ़े तो इस पुस्तक को न केवल बार-२ पढता है वरन हिन्दू समाज में फैले अनेक कुरीतियों , अंधविशवासों आदि के मूल को समझ जाता है और वास्तविक वैदिक दर्शन के ज्ञान के प्रकाश को देख कर स्तब्ध और चमत्कृत हो जाता है और वास्तविक संतुष्टि उसको प्राप्त होती है.

सहस्रों वर्षो के पश्चात् लगता है दयानंद सरस्वती जी ने अनेक मतों का विश्लेषण करके जनता के आगे सत्य वैदिक दर्शन रखा है अन्यथा आधुनिक हिन्दू संत तो सभी मतों को सामान शिक्षा वाले बताते-२ नहीं थकते जबकि विश्व में अनेकों मतों के मध्य कितना संघर्ष है यह कोई आम व्यक्ति भी जानता है यदि सभी मत सत्य मानवता भरी समान शिक्षा देने वाले होते तो विभिन्न मत ही क्यों होते, भिन्नता है तभी तो मतभेद है अन्यथा एकमत ही न होता.

समय की अनुपलब्धता के कारण मैं अभी यह लेखन यहीं समाप्त कर रहा हूँ शेष बाद में

16 टिप्‍पणियां:

  1. कृप्‍या दयानन्‍द जी के नाम के साथ जी भी लगालें, यही किताब का नाम है, दूसरी बात आप कुरआन शब्‍द ठीक लिखें देखें www.quranhindi.com नाम ठीक लिखेंगे तो पाठक समझेगा आप पढे लिखे हो किताब या ग्रंथ का नाम ही सही नहीं दे रहे हो, आगे तो आपसे क्‍या उम्‍मीद की जाये,

    और जिस antimawtar.blogspot.com ब्‍लाग की बात कर रहे हो उस ब्‍लाग पर उपर ही लिख दिया गया
    Big game against islam

    तीसरी बात डाक्‍टर अनवर जमाल जी गुमनाम नहीं बहुतों से मुलाकात कर चुके बुक फेयर दिल्‍ली में स्‍वयं यह किताबें बाटीं,

    बाकी जवाब वही देंगे

    किताब पर कोई सवाल जवाब चाहते हो तो देखो

    दयानन्द जी ने क्या खोजा क्या पाया?
    डायरेक्‍ट बुक लिंक
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/10/dr-anwar-jamal-research.html

    डाक्‍टर अनवर जमाल की नयी रिसर्च
    ''पवित्र कुरआन में गणितीय चमत्कार''
    डायरेक्‍ट पोस्‍ट लिंक
    http://hamarianjuman.blogspot.com/2010/02/quran-math-ii.html

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  2. कैरान्वी जी धन्यवाद पुस्तक का नाम सही बताने के लिए मुझे ऐसा ही ध्यान था, खैर मैंने शीर्षक में जी लगा दिया है. sahespuriya जी तथ्य भी दिए जायेंगे अगली पोस्ट में थोड़ी सी प्रतीक्षा करीए बस.

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  3. महाशय

    क्या इनकी बोगस किताब को अनावश्यक प्रचार देकर आप इसे सुपर हिट नहीं कर रहे हैं ?

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  4. कामदर्शी से सहमति जताता हूं।

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  5. आपने 'जी' तो लगाया परन्‍तु ग्रंथ का नाम कुरआन ठीक नहीं किया, दूसरी बात वैदिक संस्कृत का जिन्हें अ ब स भी पता है, वो ही वेदों के मंत्रो कि व्याखा कर हैं मेरे द्वारा विचार करने के लिये उपलब्‍ध 4 में से 2 किताबों के लेखक का परिचय निम्‍न है

    डॉ. वेदप्रकाश उपाध्‍याय
    एम. ए. (इलाहाबाद), (एम.एन.यू. अमृतसर)
    एल. एल. बी. डी. फिल. डी. लिट. (इलाहाबाद आचार्य)
    वेद, दर्शन, धर्मशास्‍त्र, डिप. इन जर्मन, स्‍वर्ण पदक-प्राप्‍त,
    रीडर, पंजाब यूनिवर्सिटी, चण्‍डीगढ़

    अधिक जानकारी के लिये देखें
    antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog) डायरेक्‍ट लिंक

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  6. भाई कैरान्वी जी ये लेखक आजकल की छदम सेकुलर फौज का ही एक अंग हैं इनकी औकात नहीं है वेद भाष्य की.
    वेद भाष्य का अधिकारी केवल वही पुरुष होते हैं जो निर्बीज समाधि अवस्था तक पहुंचते हैं.
    केवल डीग्री लेने से जो की किसी वैदिक शास्त्र की भी नहीं होती उस से वेद भाष्य की सक्षमता नहीं आती.
    वैसे भी लौकिक संस्कृत वैदिक संस्कृत से भिन्न होती है और आज के युग में वैदिक संस्कृत
    का जानकार का मिलना बड़ा ही दुर्लभ कार्य हो गया है. फिर भी यदि कोई वैदिक संस्कृत जानता भी
    है तब भी जब तक वो वेदांत दर्शन, संख्य दर्शन, योग दर्शन आदि अनेक सत्य पुस्तकों के भाष्यार्थों को पढ़ कर अपने को
    अष्टांग योग से समाधि अवस्था को प्राप्त करके उस योग्य नहीं हो जाता तब तक वेदों के गूढ़ मन्त्रों का भाष्य करने का अधिकारी नहीं होता.
    ये जो स्वयंभू मैकाले शिक्षा डीग्री धारकों के बस की बात नहीं है वेद भाष्य या किसी भी वैदिक पुस्तक का अर्थ समझने की
    क्योंकि ये भी उस संकीर्ण द्रष्टिदोष से ग्रस्त हैं जिसके आप ,डॉ अनवर जमाल, छदम सेकुलर आदि लोग हैं ये वो ही ढूँढ़ते हैं और जबरदस्ती ठूसने का प्रयास करते रहते हैं
    जो इनको अपने सम्प्रदाय में विद्वान् (अंधों में काणां सरदार) बनने का मौका देता है क्योंकि विश्व के सभी मत या सम्प्रदाय स्वार्थी लोगो द्वारा सनातन या वैदिक धर्म के विरोध स्वरुप ही बने हैं.
    खैर टिपण्णी बहुत हो गयीं इन सब बातो को आगे के लेखों में धीरे-२ रखूंगा जरा निष्पक्ष बुद्धि से सोचियेगा.

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  7. bho>>>>>>>>>>>ke kairaanvi ek baat bata tu kuraaaaaaaaaan ko angreji me kaise likhega.

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  8. जिस ग्रन्थ के नाम में ही (कु) रान लगा हो वो अच्छी कैसे हो सकती है जैसे कुकर्मी, कुख्यात, कुतर्की, कुविचारी I

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  9. Mada....c...d benami, apni ashiksha ke kueyn se bahar nikal kar dekho, duniya utni buri naheen hai jitna too samjhe baitha hai. English mein Qur'an ya Qur-an likha jata hai.
    ek aadmi

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  10. shailendra kumar साहिब क़ुरआन अरबी भाषा का शब्द है हिन्दी भाषा का नहीं कि आप उसकी समीक्षा करने बैठ गए। क़ुरआन का अर्थ होता है पढ़ना। और यह क़ुरआन का चमत्कार है कि यह सब से अधिक पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है। नोट कर लें । धन्यवाद

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  11. अश्लील कितावे ही सब से ज्यादा पढी जाती हैँ अब कुरान अरबी भाषा का शव्द हो गया हमारे ग्रन्थो के संस्कृत और हिँदी के शव्दो को तोड मरोड कर जोकर नाइक जैसे लोग पेश कर रहे हैँ

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  12. अरे यारो इस्लाम के लिए ये कुछ भी कर सकते.....अब देखो ना ये तर्क देते है कि हिन्दू ग्रन्थो मे इनके मुहम्मद का जिक्र किया गया है, चलो इनकी मान लेते है तो इसका मतलब हुआ कि उस समय दुनिया मे केवल हिन्दु धर्म था इस्लाम नही,
    क्यू कि इस्लाम होता तो इनके अल्लाह का messages उनके पास जाता हिन्दु के पास नही... क्यू जनाब वो अल्लाह थे रॉग नम्बर पर sms नही करते...
    और दुसरी बात अगर दुनिया अल्लाह की बनाई हुई है, तो मुहम्मद के दुनिया मे आने से पहले इस्लाम को कोइ क्यो नही जानता था इतना लम्बा इंतजार क्यू,
    और इसलाम को दुनिया मे बताने के लिए एक अनपढ़ को ही क्यू चुना ये कहते है कि मुहम्मद दुनिया मे ईश्वर के आखरी दुत थे तो जनाब ये बताओ कि मुहम्मद का देहांत 8 जुन सन् 632 मे हुई और कुरआन उनके देहांत के बाद लिखी गई और कुरआन लिखने मे 23 साल से ज्यादा समय लगा, मुहम्मद आखरी दुत थे तो उनके मरने के बाद कौन था जिस के पास अल्लाह के message आते थे, कुरआन की विश्वनिता पर यही शक होता है, और अगर मुहम्मद उनके आखरी दुत थे तो इसका मतलब मुहम्मद के अंत के साथ इस्लाम का भी अंत माना जाये, आज के इस्लाम को जायज़ ना माना जाय. सबसे बडा सबुत ये है कि इस्लाम के हिफाज़त के लिए ज़ेहाद वहा चल रहा है जा सिर्फ इस्लाम को मानने वाले है, आप खुद ही देख लो दुनिया के ज्यादा तर इस्लामिक मुल्क अशांत है ज़ेहाद के नाम पर मुस्लमान मुस्लमान को ही मार रहा है, पैग्मबर बोलकर गये कि काफिरो को मारना ये तो अब खुद को मार रहे है....

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  13. Bloger aapne bohat acchi pol kholi hain ka kuch bhi galti nahi...aisa hi kaam karte rahe...jisko aapke blog mein galti dikhti hain wo suvar ka mut akh mein daalein surma unke maake chut ko lagaye,,,aur yaha unki maa mat chudaye isis mein jaaye gaand ka cched bada kare aur usme barud bhare aur gaand fad ke baithe...,.are mere lavde ke balon...mere lavde ke jhate kafir ho gaye hain....jhatallah ko jhat samate hain kisike gaand mein dam honga to mere jhaton pe jihad failane aaoain uski gaand fad dunga...sabka land ek hain...

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