रविवार, 3 मई 2009

गाँधी परिवार अथवा खान परिवार

गाँधी परिवार का परिचय जब भी किसी कांग्रेसी अथवा मीडिया द्वारा देशवासियों को दिया गया है अथवा दिया जाता है,तब वह फिरोज गाँधी तक जाकर ही यकायक रुक सा जाता है फिर बड़ी सफाई के साथ अचानक उस परिचय का हैंडिल एक विपरीत रास्ते की और घुमाकर नेहरु वंश की और मोड़ दिया जाता है। फिरोज गाँधी भी अंततः किसी के पुत्र तो होंगे ही। उनके पिता कौन थे ? यह बतलाना आवश्यक नहीं समझा जाता। फिरोज गाँधी का परिचय पितृ पक्ष से काट कर क्यों ननिहाल के परिवार से बार-बार जोड़ा जाता रहा है, यह एक ऐसा रहस्य है जिसे नेहरु परिवार के आभा-मंडल से ढक कर एक गहरे गढे में मानो सदैव के लिए ही दफ़न कर दिया गया है।

यह कैसा आश्चर्य है की पंथ निरपेक्षता(मुस्लिम प्रेम) की अलअम्बरदार कांग्रेस के द्वारा भी आखिर यह गर्वपूर्वक क्यों नहीं बतलाया जाता की फिरोज गाँधी एक पारसी युवक नहीं अपितु एक मुस्लिम पिता के पुत्र थे। और फिरोज गाँधी का मूल नाम फिरोज गाँधी नहीं फिरोज खान था जिसको एक सोची समझी कूटनीति के अर्न्तगत फिरोज गाँधी करा दिया गया था।

फिरोज गाँधी मुसलमान थे और जीवन पर्यन्त मुसलमान ही बने रहे। उनके पिता का नाम नवाब खान था जो इलाहबाद में मोती महल (इशरत महल) के निकट ही एक किराने की दूकान चलाते थे । इसी सिलसिले में (रसोई की सामग्री पहुंचाने के सिलसिले में) उनका मोती महल में आना जाना लगातार रहता था। फिरोज खान भी अपने पिता के साथ ही प्रायः मोती महल में जाते रहते थे। वहीँ पर अपनी समवयस्क इन्द्रा प्रियदर्शनी से उनका परिचय हुआ और धीरे-धीरे जब यह परिचय गूढ़ प्रेम में परिणत हुआ तब फिरोज खान ने लन्दन की एक मस्जिद में इन्द्रा को मैमूदा बेगम बनाकर उनके साथ निकाह पढ़ लिया।

गाँधी और नेहरु के अत्यधिक विरोध किये जाने के फलस्वरूप भी जब यह निकाह संपन्न हो ही गया तब समस्या 'खान' उपनाम को लेकर आ खड़ी हुई। अंततः इस समस्या का हल नेहरु के जनरल सोलिसिटर श्री सप्रू के द्वारा निकाला गया। मिस्टर सप्रू ने एक याचिका और एक शपथ पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करा कर 'खान' उपनाम को 'गाँधी' उपनाम में परिवर्तित करा दिया।इस सत्य को केवल पंडित नेहरु ने ही नहीं अपितु सत्य के उस महान उपासक तथाकथित माहत्मा कहे जाने वाले मोहन दास करम चाँद गाँधी ने भी इसे राष्ट्र से छिपा कर सत्य के साथ ही एक बड़ा विश्वासघात कर डाला।

गाँधी उपनाम ही क्यों - वास्तव में फिरोज खान के पिता नवाब खान की पत्नी जन्म से एक पारसी महिला थी जिन्हें इस्लाम में लाकर उनके पिता ने भी उनसे निकाह पढ़ लिया था। बस फिरोज खान की माँ के इसी जन्मजात पारसी शब्द का पल्ला पकड़ लिया गया। पारसी मत में एक उपनाम गैंदी भी है जो रोमन लिपि में पढ़े जाने पर गाँधी जैसा ही लगता है। और फिर इसी गैंदी उपनाम के आधार पर फिरोज के साथ गाँधी उपनाम को जोड़ कर कांग्रेसियों ने उस मुस्लिम युवक फिरोज खान का परिचय एक पारसी युवक के रूप में बढे ही ढोल-नगाढे के साथ प्रचारित कर दिया। और जो आज भी लगातार बड़ी बेशर्मी के साथ यूँ ही प्रचारित किया जा रहा है।

8 टिप्‍पणियां:

अक्षत विचार ने कहा…

ekdum nyi bat pata chali..

nitin tyagi ने कहा…

Kya Baat hai
Satyam Shivam Sundram

shama ने कहा…

Padha to is baareme...shayad 'is'Gaandhi'pariwar se adhik judaw na honeke karan,hamesha nazar andaaz kiya...jis "Gandhi'ko maantee hun....unke hee bareme adhik ruchee rahee...!

http://shamasansmaran.blogspot.com

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http://shama-baagwaanee.blogspot.com

हरिमोहन सिंह ने कहा…

बिल्‍कुल नई बात पता चली लेकिन अब इस बात का क्‍या अर्थ हे

जीत भार्गव ने कहा…

Exceleent and 100% truth. Saurabh, pl. mail me your email ID.

Dr.Dayaram Aalok ने कहा…

फ़िरोज़गांधी पारसी नहीं एक मुसलमान की औलाद था ,हमारे लिये अभिनव जानकारी है। कांग्रेस को देश पर हुकुमत करने के लिये ये सब प्रपंच इस्तेमाल करने होते हैं। राजीव के साथ खान उपनाम लगाने पर हिन्दु बहुल देश उनको सत्ता आसानी से हासील नहीं करने देता इसीलिये "गांधी" उपनाम इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत की भोली जनता तो नवाब खान की औलाद को महात्मा गांधी से जोडकर देखने की आदी हो चुकी है। कांग्रेस सत्ता सुख के लिये हर तरह के समीकरण और जुगत बैठाने मे महारत हासील कर चुकी है।

Unknown ने कहा…

Yeh history har india news chainal par ek mahine tak indai ke har admiko pata karna jaruri hai.is shadyantrake bareme logoko pata hona bahut jaruri hai. to krupa karke yeh bate har news chainal tak pahuche aisa kuch hona chahiye.

CHANDRA SHEKHER ने कहा…

YE BAAT MUGHE PATA HAI, AUR SONIA NE ISHAI DHARM NAHI CHHORA HI