रविवार, 10 जुलाई 2011

मन्दिर में सरकारी लूट और हिन्दुओं का अन्ध विश्वास

एक नये मंदिर घोटाले के लिए देश तैयार रहे. यदि आप अभी भी इस आशा में बैठे हुए हैं यह धन देश सेवा में लगेगा तो यह मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है. यदि त्रावणकोर राजसी परिवार इस धन से एक राष्ट्रवादी अभियान – जैसे की राष्ट्रवादी सत्य दिखाने वाला चैनल , पत्रिकाये, क्रांतिकारियों को तैयार करना इत्यादि में खर्च करता तो वास्तविक रूप से राष्ट्र की और ईश्वर की सेवा में इस धन का सदउपयोग होता पर अब हम छाती ही पीटते रहेंगे इस अंग्रेज सरकार के आगे पर यह धन सभी सेकुलरों और देशद्रोहियों में निश्चित रूप से बटना तय है. हिन्दुओं ने यही पिछले २०००-२५०० वर्षों से मूर्खता की है और अभी भी कर रहे हैं – मंदिरों में विशाल धन संपदा का ढेर लगा देते हैं, सोने , हीरे- जवाहरात की मूर्तियों गढ़ देते हैं और जब इन स्वर्णमूर्तियों, हीरे-जवाहरात और चढ़ावे के धन आदि को लूट लिया जाता है तो हा-हा करके छाती पीटके रोते हैं जबकि न यह हमारे धर्म में विधान है न कोई किसी भी महापुरुष द्वारा उपदेशित. फिर भी यह अन्धश्रद्धा में लुटने के लिए सदैव तैयार है और अपने सनातन वैदिक धर्म व् राष्ट्र से दूर होता जा रहा है जिसका उदाहरण सर्वत्र है प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. किन्तु राष्ट्र के नाम पर एक कौड़ी इनकी जेब से नहीं निकलती. मैं तो यह कहता हूँ इस धन को यदि कोई डाकुओं का कोई गिरोह आदि भी लूट ले तो भी इस सरकार की लूट से तो अच्छा होगा कम से कम क्योंकि कम से कम धन देश में तो रहेगा किन्तु यह सरकार तो विदेशियों को बेचकर बाहर ही बाहर इटली और स्विट्जरलैंड आदि देशों में इस धन को जमा कर देगी. सुप्रीम कोर्ट की कितनी चलती है यह भी सभी को पता ही है.

मन्दिरों का धन सरकारी लूट द्वारा चर्चों और मदरसों के राष्ट्रविरोधी विकास कार्यों में अनुदान के रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगता है इस बात को हिन्दू अच्छी तरह से जान लें तो या तो मन्दिरों का स्वरूप बदलना चाहिये या वहां धन का चढावा बंद ही कर दें. और जो भी तथाकथित बाबा स्वामी इत्यादि तुम्हें तर्कहीन बकवास के द्वारा तुम्हारे जीवन की समस्याओं को अवैज्ञानिक अन्धविश्वासों द्वारा दूर करने का दावा करते हैं उनको तुम्हारा सिरमौर नहीं वरन जेलों की सलाखों के पीछे होना चाहिये उदाहरण के तौर पर मैं आजकल एक नया बाबा निर्मल बाबा का टीवी पर प्रसारण देख रहा हूँ और लोग पागलो की तरह उस ढोंगी को ईश्वर की तरह पूजते हैं. ये टीवी चैनल इत्यादि इन ढोंगियों बाबाओं को जानबूझ कर प्रचार में सयोग देते हैं ताकि भारत की जनता मुर्ख ही बनी रहे. लगभग प्रत्येक समाचार चैनल ढोंगियों को बैठा कर लोगो का भविष्य बताता है जबकि जनता अपने सत्य शास्त्रों से अनजान यह भी नहीं जानती ज्योतिष-शास्त्र लोगो का भविष्य बताने के लिए नहीं है वरन प्रकाश विज्ञान और प्रकाश दूरी द्वारा नक्षत्र की स्तिथियाँ, गतियाँ आदि गणितीय पद्दति द्वारा बताने के लिए है. आज का कथित ज्योतिष शास्त्र असत्य वैज्ञानिक है. यह सब न्युमेरोलोजी, वास्तुशास्त्र, टैरोकार्ड द्वारा भविष्य या समस्या का समाधान बताना इत्यादि सब केवल बकवास है. कोई ग्रह , अंक पत्थर, घर में वस्तुओं की स्तिथिया मानव जीवन के साथ पक्षपात नहीं कर सकती यह सब जड़ है इसको समझो अपनी आत्मा जड़ मत बनाओ. किसी ग्रह या तारे में किसी प्रकार का परिवर्तन सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपना प्रभाव रखता है न की कुछ के लिए अच्छा और कुछ के लिए बुरा.

कहने का तात्पर्य है इन कुचक्रों से निकल कर अपने राष्ट्र को बचाओ जैसा की ऋग्वेद के मन्त्रों में भी लिखा है कि सभी को राष्ट्र-रक्षा में सदैव तत्पर रहना आवश्यक है अन्यथा इससे ज्ञान और मानव –समाज की अत्यन्त हानि होती है धर्म का नाश होता है सुख-समृद्धि दूर होकर दरिद्रता का विस्तार होता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है – आज हिन्दुओं का अतिक्रमण और महाविनाश उन्हीकी आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो रहा है दरिद्रता का अत्यन्त विस्तार हो रहा है किन्तु हिन्दुओं को फिर भी नहीं दिखाई दे रहा है वो तो बस अपने राहू-केतु , मंगल शनि आदि के प्रपंच में काठ का उल्लू बना हुआ है.

अत्यन्त प्राचीन समय में मन्दिर में केवल पुस्तकालय, वैदिक यज्ञशालायें और व्यायाम शालायें इत्यादि होते थे. यहाँ से सत्य ज्ञान के प्रचार के लिए कार्य होता था. योग प्रचार और स्वास्थ्य के लिए कार्य होता था. यज्ञों और वैदिक मंत्रो से वातावरण शुद्ध और सात्विक बना रहता था जिसे मानव का चित्त शान्त और सुखी रहे किन्तु आज अधिकतर मन्दिर केवल अन्धश्रद्धा, अवैज्ञानिकता और दिखावे का केन्द्रमात्र रह गए हैं. उदाहरण के तौर पर मेरे पड़ोस में एक मन्दिर है जिसमें प्रत्येक मूर्ति पर एक बिजली का पंखा फिट है इसे देख कर मुझे हसी के साथ दुःख भी हुआ की हिन्दू अपनी मूर्खता की पराकाष्ठा पर पंहुच चुका है इसका क्या होगा. आये दिन कोई शिरडी बाबा को करोडो का सिंहासन चड़ाता है कोई सोने की माला. ऐसे ही अधिकतर सभी मन्दिरों के हालात हैं और ऐसे ही लोग ढोंगी बाबाओं को भी धन से सरोबार करते हैं. और जबकि यह धन उन्हींके विरुद्ध कार्यों में लगता है. मूर्खो को आज लोग पण्डित या ब्राह्मण कह कर पुकारते हैं घोर आश्चर्य है.

इन सभी बातों का लाभ हमेशा राष्ट्र-विरोधी शक्तियों ने लिया है और आज भी ले रहे हैं किन्तु अभी भी कुछ समय है जागने का इस तन्द्रा से, घोर अन्धविश्वासों से, अवैज्ञानिकता से.

4 टिप्‍पणियां:

vidhya ने कहा…

aap ke soch aap ke lekan may bahut dam hai

nitin tyagi ने कहा…

thanks for good article

मदन शर्मा ने कहा…

बिल्कुल सही समय पर आपने एक सुंदर विषय और सकारात्मक सोच प्रस्तुत किया है !
कृपया आगे भी अपनी लेखनी को रुकने ना दें आप जैसे लोगों से ही हमें प्रेरणा प्राप्त होती है तथा कलम को ताकत मिलती है !

shiv kumar ने कहा…

weldone sir. i m added in arya nirman rashtra nirman (facebook)