बुधवार, 13 जुलाई 2011

शान्ति के मजहब का देश को एक और प्यार-दुलार

मन दुखित और अत्यन्त क्रोधित है देश पर फिर से एक इस्लामिक आतंकी हमले के रूप में मुम्बई में ३ बम्ब विस्फोट में पचासों लोग मरें और घायल हुए और साथ में मीडिया का भोंकना शुरू - मुम्बई जिन्दादिलों की और लोगों ने दिखा दिया कि हम अपने काम पर फिर से लग जायेंगे और फिर से वही दिनचर्या अपना लेंगे और दिखा दिया हम आतंक से नहीं डरेंगे। अभी एक महान बयान महान सेकुलर लोगो से भी आना शेष हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म-मजहब नहीं होता है।

पुलिस ने इण्डियन मुजाहिदीन पर सन्देह किया है किन्तु अभी पूर्ण तरह से स्पष्ट नहीं है कि कौन सा मुस्लिम संगठन इसके पीछे है। और चर्चा आरम्भ हो गयी है कहाँ चूक हो गयी है। यह सारा प्रलाप कुछ दिन चल कर शान्त हो जायेगा और जनता की कथित बहादुरी का राग मीडिया बार-२ दोहराएगा। ऐसे ही जब भी दिल्ली में इस्लामिक हमले हुए हैं तब भी दिल्ली दिलवालो की कह कर इन्होने खूब जनता का उपहास उडाया।

मुझे महान आश्चर्य यह होता है कि इतिहास की महान कायरता को सहासिक बताने का ये लोग बार-२ दुस्साहस करते हैं किन्तु फिर भी किसी की रीढ़ में सिरहन पैदा नहीं होती। होना तो यह चाहिये जनता को अधिक से अधिक संख्या में एकत्रित होकर के इन नेताओं का घेराव, जबरदस्त विरोध प्रदर्शन करना चाहिये और यह भी पूछना चाहिये क्यों ऐसे हमला करने वाले कसाब और अफजल जैसे आतंकियों की सरकार द्वारा सेवा और निर्दोष साध्वी प्रज्ञा सिंह पर अमानवीय अत्याचार किये जाते हैं। क्यों खुल कर आतंकवादियों का इस्लाम की सेवा बताने वालो का धर्म-मजहब नहीं होता जबकि एक झूठे केस में फसाई हुई सुबह-शाम वंदे मातरम और भारत माता की जय बोलने वाली राष्ट्रवादी नारी को हिन्दू आतंकवाद से संबोधित करके पूर्ण विश्व में प्रचार करके बदनाम किया जाता है। क्यों काश्मीर से आये मुस्लिम अलगाववादियों के देश-विरोधी प्रदर्शन को शान्तिपूर्ण सह लिया जाता है जबकि देश सेवा के लिए तत्पर योगाचार्य रामदेव को और उनके शांतिपूर्ण देशसेवा के प्रदर्शन को बलपूर्वक अमानवीय अत्याचारों से दमन कर दिया जाता है यह तो केवल मैंने प्रज्ञा सिंह और रामदेव का एक उदाहरण रखा है वास्तव में तो भारत की हिन्दू जनता पर असंख्य हमलों की प्रत्यक्ष निरंतर घटनाएं हो रही हैं लिखने बैठूँगा तो इस लेख का कभी अन्त नहीं होगा।

अभी-२ चिदम्बरम का प्रेस-कोनफ्रेंस देख रहा हूँ वो ही रटे-रटाये मीडिया के महान मूर्खता भरे प्रश्न और वो ही रटे-रटाये उसके बकवास उत्तर। क्या होने वाला है इन बकवासबाजियों से हमेशा की तरह। ये लोग तो कसाब और अफजल जैसो की चरण-वंदना के लिए ही वहां बैठे हैं इनको और इनके मीडिया चाटुकारों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है यह इनका सारा नोटंकी-नाटक जनता को मुर्ख बनाने के लिए प्रत्येक हमले के पश्चात होता है इस बात को जनता कितनी बार में समझेगी यही समझ में नहीं आता।

5 टिप्‍पणियां:

vidhya ने कहा…

सच कहा आप ने |
क्या जम के लिखा है आप ने |

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत दिनों के अंतराल के बाद आपको पुनः आज के ज्वलंत पोस्ट पर देख कर अच्छा लगा ! समाचार सुन कर दिल को धक्का सा लगा !
कैसी है आज की हमारी नकारी सरकार ?
कि मनमोहन सिंह अब भी वही रटा रटाया वाक्य कह रहे हैं की
कोई हमारे धैर्य की परीक्षा न ले |
ना जाने कब इनका धैर्य टूटेगा ? क्या चाहते हैं ये ?
हर कोई सब कुछ जानता है फिर भी ये सरकार चुप्पी लगा कर बैठी हुई है |
इनके लिए तो बाबा रामदेव जैसे देश भक्त महा ठग व पुलिसिया दरिंदगी के पात्र है
जब कि कसाब तथा लादेन जैसे दुर्दांत आतंकवादी आदर व मानवीय संवेदना के पात्र है |
क्या ये देश को रसातल में जाने कि प्रतीक्षा कर रहे हैं ?

मदन शर्मा ने कहा…

अभी एक महान बयान महान सेकुलर लोगो से भी आना शेष हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म-मजहब नहीं होता है।

मदन शर्मा ने कहा…

और वो सरकारी भोंपू दिग्गी राजा आज कल क्या कर रहा है ?
क्या उसे भी ये सब दिखाई नहीं देता ?
किसी ने सही कहा है राम ने मिलाई कैसी जोड़ी
एक तो अंधा दूसरा कोढ़ी

मदन शर्मा ने कहा…

और वो सरकारी भोंपू दिग्गी राजा आज कल क्या कर रहा है ?
क्या उसे भी ये सब दिखाई नहीं देता ?
किसी ने सही कहा है राम ने मिलाई कैसी जोड़ी
एक तो अंधा दूसरा कोढ़ी