गुरुवार, 14 जुलाई 2011

मुस्लिम आतंकवादियों को हिन्दुओं की तरफ से गुरु पूर्णिमा पर करोड़ो का चढ़ावा

अभी-२ समाचार देख रहा था कि आज गुरु पूर्णिमा का दिन है और शिरडी साईं बाबा पर एक भक्त ने ७० लाख का फोटो फ्रेम दूसरे ने ३० लाख की शिरडी की मूर्ति तीसरे ने २५ लाख का मुकुट चढ़ाया कुल मिलाकर सुबह-२ ही २ करोड़ का चढ़ावा चढ़ चुका है । जिस देश में ७०% जनता २० रूपये प्रतिदिन पर अपना जैसे-तैसे करके खर्च चलाती है, जहाँ नेताओं ने देश को लूटकर भिखारी बना दिया है, जहाँ हजारों गावों में विद्यालय का नाम मात्र भी नहीं है जहाँ देश में हर तरफ इस्लामिक हमले हो रहे हैं, जहाँ क्रिश्चनों द्वारा युद्धस्तर पर धर्मभ्रष्ट किया जा रहा है जहाँ का मीडिया अभी हाल ही के आतंकी हमलों को बड़े चाव से मजे लेकर दिखा रहा है वहां की हिन्दू जनता पत्थर की मूर्तियों पर करोड़ों के चढ़ावे चढ़ा रही है जबकि यही चढावा सरकार द्वारा मदरसों और चर्चों को सेकुलर अनुदान के रूप में मिलता है और वहां से फिर से ऐसे नए हमलों की नींव रखी जाती है। देखा है ऐसा कोई देश जहाँ की जनता अपनी हत्या के लिए ही पैसा मुहैया कराती है – निश्चित तौर पर नहीं और इसीलिए ही इनकी यह दुर्दशा है। यदि मूर्तियों पर करोड़ो रुपये चढ़ाने से ईश्वर खुश हो जाये करते तो देश की इतनी दुर्दशा कैसे है? वैसे भी जो लोग इतना धन चढाते हैं इनकी भी जाँच होनी चाहिये क्योंकि इमानदारी द्वारा अपनी मेहनत से कमाए धन से कोई इतना बड़ा चढ़ावा नहीं चढ़ा सकता है। यह कैसा अन्धविश्वास है जो लोगो के सर चढ़ कर ऐसा बोलता है कि उन्हें इसके परिणाम स्वरुप राष्ट्र की घोर दुर्दशा भी नहीं दिखाई दे रही है।

समाचार चैनल वाला बता रहा है कि यह वही पेड़ है जिसके नीचे साईं बाबा कूड़े-करकट में बैठा करते थे – क्या इसीलिए ही यहाँ की जनता गंदगी से इतना प्रेम करती है क्योंकि इनके अनुसार ईश्वर ही कूड़े में बैठता था। क्यों लोगो पर यह महामूर्खता की ऐसी पर्त चढ़ हुई है कि इतनी बकवास तर्कहीन कहानिया सुन ने के पश्चात भी लोग किसी को भी ईश्वर मानने पर तैयार हो जाते हैं। क्यों लोग अपने राष्ट्र से विमुख हो गए हैं क्यों निरंतर आक्रमणों को चुपचाप मूर्तियों के भरोसे या किसी चमत्कार के भरोसे सहते जा रहे हैं।क्यों अपने इतिहास से नहीं सीखते हैं कि मुगलों की भारी मन्दिरों की लूट के समय भी छाती पीट-२ कर रोने से कोई चमत्कार नहीं हुआ था कोई भगवान बचाने नहीं था तथा उस समय जिन महान राजाओं राम-कृष्ण की मूर्तियों को पूजते थे यदि कुछ एक भी उनके अनुसरणकर्ता होते तो उन मुगलों का अंग-२ विच्छिन्न कर के उनकी लाशें बिछा देते और यह विकट परिस्तिथि भी नहीं देखने को नहीं मिलती। सोच सकते हैं कि लोगो ने एक कूड़े में बैठने वाले व्यक्ति को ईश्वर मानना आरम्भ कर दिया तो इस्लामिक हमले और चर्चों की कुटिल चालों से अपने आप को कहाँ से बचायेंगे। राम-कृष्ण को पूजते हैं तो भी एक बार को स्वीकार किया जा सकता है चलो कम से कम वो पृथ्वी के महान राजा और ज्ञानी पुरुष थे किन्तु हर किसी व्यक्ति को भगवान मान कर पूजने बैठ जाते हैं यह कहाँ की बुद्धिमानी है।

खैर पता नहीं क्या होगा इस देश का अभी-२ समाचारों में राहुल और दिग्विजय का बयान देखा कि प्रत्येक आतंकवादी हमले को नहीं रोका जा सकता है और पड़ोस में पकिस्तान में भी तो आतंकवादी हमले होते रहते हैं हम तो उनसे कहीं ज्यादा अच्छे हैं – इससे शर्मनाक डूब मरने लायक बयान नहीं हो सकता है कहने का मतलब है आदत डाल लो हम तो हिन्दुओं के मुंह पर ऐसे ही थूकेंगे और मुर्ख बनायेंगे और ऐसे ही हमले कारयेंगे थोडा सा नाटक करेंगे पर कोई कार्यवाही बिलकुल भी नहीं करेंगे कर लो हमारा क्या करोगे। जबकि दूसरी तरफ हिन्दू आपस में ही एक दूसरे को गुरु मान के पूज-२ के मूर्खता की गहरे सागर में गोते खा रहा है।

4 टिप्‍पणियां:

vidhya ने कहा…

आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/



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मदन शर्मा ने कहा…

अजीब दास्ताँ है ये...कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंजिलें हैं कौन सी...ना वो समझ सके...ना हम
सच ... बहुत ही सार्थक लेखन ... आज के दौर का सफल चित्रण है ये रचना ...
.इस दौर की समस्याओं को कुरेदते आपके लेखन को नमन !!

कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/

मदन शर्मा ने कहा…

यही तो हमारे देश का दुर्भाग्य है की सब जानते समझते हुवे भी हम सुधरना नहीं चाहते |
कोई हमें दो जूता मार के निकल जाए तो भी हम प्रतिक्रया करने वाले जीव नहीं हैं |
हमारा तो बस एक ही नारा है अहिंसा परमो धर्मः |
जो भी कुछ हो रहा है हमारे भाग्य में लिखे अनुसार ही हो रहा है !
जब इश्वर चाहेगा तभी हमारे दिन सुधरेंगे |
कोई लाख करे चतुराई करम का लेख टले ना मेरे भाई .................

सौरभ आत्रेय ने कहा…

विद्या जी और मदन शर्मा जी सबसे पहले तो आपकी टिप्पणियों और उत्साहवर्धन के लिए बहुत-२ धन्यवाद. मदन शर्मा जी आपका ब्लॉग बहुत ही अच्छा है और आप निश्चित तौर पर मानव समाज के कल्याण के लिए वैदिक विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं जोकि प्रशंसा योग्य है. विद्या जी आपका ब्लॉग भी बहुत ही अच्छा और प्रशंसनीय है.