गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

ईश्वर निर्गुण है या सगुण ?

काफी समय से मेरी निष्क्रियता और आलस्य के कारण मेरा लेखन कार्य बंद ही पड़ा है पर अभी हाल ही में मेरी एक पोस्ट सांख्य दर्शन पर एक टिप्पणी में एक बेनामी ने प्रश्न पुछा है कि ईश्वर निर्गुण है या सगुण तो मैंने उसको निम्न उत्तर टिप्पणी के माध्यम से ही दिया है और फिर सोचा क्यों न इसको एक लेख में ही प्रकाशित कर देता हूँ ।   
प्रश्न - ईश्वर निर्गुण है या सगुण ?
उत्तर - उपासना २ प्रकार की है – एक सगुण और दूसरी निर्गुण। इनमें से जगत को रचनेवाला, वीर्यवान् तथा शुद्ध, कवि, मनीषी, परिभू और स्वयम्भू इत्यादि गुणों के सहित होने से परमेश्वर सगुण है और अकाय, अव्रण, अस्नाविर इत्यादि गुणों के निषेध होने से वह निर्गुण कहलाता है।
ईश्वर के सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान , शुद्ध , सनातन , न्यायकारी , दयालु, सब में व्यापक, सब का आधार, मंगलमय, सब की उत्पत्ति करनेवाला और सब का स्वामी इत्यादि सत्यगुणों के ज्ञानपूर्वक उपासना करने को सगुणोंपासना कहते हैं और वह परमेश्वर कभी जन्म नहीं लेता , निराकार अर्थात आकारवाला कभी नहीं होता , अकाय अर्थात शरीर कभी नहीं धरता , अव्रण अर्थात जिसमें छिद्र कभी नहीं होता , जो शब्द , स्पर्श , रूप , रस और गन्धवाला कभी नहीं होता , जिसमें दो, तीन आदि संख्या की गणना नहीं बन सकती , जो लम्बा चौड़ा हल्का भारी कभी नहीं होता , इत्यादि गुणों के निवारणपूर्वक उसका स्मरण करने को निर्गुण उपासना कहते हैं।
इससे क्या सिद्ध हुआ कि जो अज्ञानी मनुष्य ईश्वर के देहधारण करने से सगुण और देहत्याग करने से निर्गुण उपासना कहते हैं, यह उनकी कल्पना वेद शास्त्रों के प्रमाणों और विद्वानों के अनुभव से विरुद्ध होने के कारण मान्य नहीं है ।        

रविवार, 17 जुलाई 2011

काँग्रेस का दुस्सहासी और क्रूरता भरा एक और राष्ट्रघाती बयान

हाल ही मैं कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय का बयान आया है जिसमें इन हाल ही के मुम्बई बम्ब धमाके के लिए उसने हिन्दू संगठनों विशेषतयः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का नाम लिया और खुल कर हिन्दू आतंकवादी शब्द का प्रयोग किया है। सबसे पहले लोगो को यह समझना चाहिये यह कोई दिग्विजय का केवल अपना बयान या अपनी सोच नहीं है क्योंकि वह कोंग्रेस के महासचिव पर पदाधीन है इसका मतलब यह कोंग्रेस की अपनी सोच और उसका ही आधिकारिक बयान है महासचिव दिग्विजय के रूप में। इससे अधिक शर्मनाक और अत्यन्त घातक सोच और क्या हो सकती है कि हमला करने वाले की जगह पीड़ित पर ही आरोप मढ़ दिया जाये। शत्रु का खुलकर पक्ष लिया जाये और गृहस्वामी को ही अपने घर का लुटेरा बताया जाये। आप सोचकर देखिये कि एक परिवार में ६ सदस्य हों और कुछ लोग उन पर हमला करके उनमें से २ की हत्या कर दें उसके पश्चात पुलिस रिपोर्ट करने के बजाय उसी परिवार के शेष ४ सदस्यों पर आरोप मढ़ कर उनपर केस चला दे तो सोचो उन ४ परिवार के सदस्यों की वेदना क्या होगी एक तो वो पहले से घर में २ मौतों से अत्यन्त पीड़ित हों ऊपर से हत्या का आरोप भी उन्हीं पर मढ़ दिया गया हो तो ऐसे में उस परिवार की वेदना और छटपटाहट ऐसी ही होगी जैसी कि आज इस भारत देश में हिन्दुओं की है। जिसका घर उसी पर ही तर्कहीन निराधार घर की लूट और हत्या का आरोप।

कुछ लोग कहते हैं यह देश केवल हिन्दुओं का नहीं है यह उतना ही मुसलामानों और ईसाईयों का भी है। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ यदि मुस्लिम इसको अपना घर मानते तो हमें कोई समस्या नहीं होती किन्तु आतंकवादियों , अलगाववादियों , देश विरोधी गतिविधियों, कसाब – अफजल का समर्थन , पाकिस्तान का समर्थन करने वालों का यह देश नहीं हो सकता ईसाई भी यदि इसको घर मानते तो वो चर्चों की कुटिल राष्ट्रविरोधी चालों का समर्थन न करते होते। उदाहरण के तौर पर रामदेव के राष्ट्रहित अभियान के विरोध में ३ मुख्य बयान हिंदी फिल्मउद्योग से आये वो भी ३ मुस्लिमों के शाहरुख खान , शबाना आज़मी और सलमान खान के जिन्होंने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रामदेव का विरोध किया – सोच सकते हो जिस देश की जनता ने इन मुस्लिम लोगो को सर –आँखों पर बैठाया हो सम्मान दिया हो उनके ऐसे बयान आते हैं तो औरों की क्या बात करें। फिर भी चलो एक – दो मुसलमान या ईसाई ठीक हो सकते हैं किन्तु फिर भी बहुमत में इनका राष्ट्रविरोध प्रत्यक्ष दीखता है । मुस्लिमों के ब्लोगों पर ही देख लों किस तरह से वो प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष (सीधे या संकेतों में) रूप से बेशर्मी से हर उस चीज़ का विरोध करते नज़र आते हैं जोभी देश हित में हो न्यायपूर्ण हो और फिर भी कितने ही सारे हिन्दू लोग उनकी बेशर्मी से अधिक बेशर्मी से उनका अनुसरण भी करते हैं यह भी एक हिन्दुओं की आत्मघाती सोच का ही परिणाम है कि जो शत्रुओं का ही समर्थन करने के लिए व्यग्र हैं।

हिन्दुओं को यह आत्म-मन्थन करना ही होगा कि उसके दिन-रात मन्दिरों में घंटे बजाने, शान्ति का पाठ पढ़ने, ज्योतिषों के उज्जवल भविष्य बताने, चोबीसों घंटे अहिंसा-२ रटने आदि के तत्पश्चात भी उसी का अतिक्रमण , उसी पर अत्याचार , उसी के देश में उसको आतंकवादी बताने का बार-२ दुस्साहस, उसी की संख्या में घटाव और दुश्मनों की संख्या में निरंतर वृद्दि, उसी के धर्मस्थलों पर शत्रुओं का अधिकार, उसी की हत्या करके उसी पर आरोप, उसी के धर्मग्रंथों का अपमान, उसी के महापुरुषों की निंदा, उसी के सच्चे इतिहास को झूठा और झुठे को सच्चा बताना इत्यादि घोर दुर्दशा क्यों हो रही है – क्यों इसकी ईश्वर सहायता नहीं करता हैं ? इसका मतलब कहीं न कहीं तो कमी है जो ईश्वर की दिन-रात और शान्ति का राग गाने के पश्चात भी कोई उसकी पुकार सुनने को कोई तैयार नहीं है – ऐसा क्यों ? इसका उत्तर है – कर्महीन होकर के सब बातें ईश्वर की आढ़ में छोड़ देना , स्वार्थी होना, किसी भी बात को बिना किसी ठोस प्रमाण और तर्क के मान लेना, चालाक शत्रुओं के वाक्छल और सिद्धांत-विरुद्ध बातों में फंस जाना, अहिंसा की गलत परिभाषा आत्म-हत्या का अनुसरण करना इत्यादि बातों के अलावा अंग्रेजों की मैकाले- शिक्षा भी इसके मुख्य कारणों में से एक है जो व्यक्ति से स्वाभिमान और आत्म-विश्वास को नष्ट करने का कार्य बड़ी अच्छी तरह से निभा रही है। यह समय बड़ा ही विकट और विपरीत परिस्तिथियों का है प्रत्येक व्यक्ति यदि केवल इस बात का भी अनुसरण करे कि – तर्क और प्रमाण के बिना मैं कुछ नहीं मानूंगा और न ही किसी का अनुसरण करूँगा तथा निस्वार्थ होकर न्याय का पक्ष लूँगा तो भी इन सभी समस्याओं का अन्त होना निश्चित हो जायेगा। जो हिन्दू मेरी इन बातों से एक मत नहीं हैं उस पर भी उनको गहन चिंतन विचार करना चाहिये कि ऐसा हमारी सोच में अंतर क्यों है।

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

मुस्लिम आतंकवादियों को हिन्दुओं की तरफ से गुरु पूर्णिमा पर करोड़ो का चढ़ावा

अभी-२ समाचार देख रहा था कि आज गुरु पूर्णिमा का दिन है और शिरडी साईं बाबा पर एक भक्त ने ७० लाख का फोटो फ्रेम दूसरे ने ३० लाख की शिरडी की मूर्ति तीसरे ने २५ लाख का मुकुट चढ़ाया कुल मिलाकर सुबह-२ ही २ करोड़ का चढ़ावा चढ़ चुका है । जिस देश में ७०% जनता २० रूपये प्रतिदिन पर अपना जैसे-तैसे करके खर्च चलाती है, जहाँ नेताओं ने देश को लूटकर भिखारी बना दिया है, जहाँ हजारों गावों में विद्यालय का नाम मात्र भी नहीं है जहाँ देश में हर तरफ इस्लामिक हमले हो रहे हैं, जहाँ क्रिश्चनों द्वारा युद्धस्तर पर धर्मभ्रष्ट किया जा रहा है जहाँ का मीडिया अभी हाल ही के आतंकी हमलों को बड़े चाव से मजे लेकर दिखा रहा है वहां की हिन्दू जनता पत्थर की मूर्तियों पर करोड़ों के चढ़ावे चढ़ा रही है जबकि यही चढावा सरकार द्वारा मदरसों और चर्चों को सेकुलर अनुदान के रूप में मिलता है और वहां से फिर से ऐसे नए हमलों की नींव रखी जाती है। देखा है ऐसा कोई देश जहाँ की जनता अपनी हत्या के लिए ही पैसा मुहैया कराती है – निश्चित तौर पर नहीं और इसीलिए ही इनकी यह दुर्दशा है। यदि मूर्तियों पर करोड़ो रुपये चढ़ाने से ईश्वर खुश हो जाये करते तो देश की इतनी दुर्दशा कैसे है? वैसे भी जो लोग इतना धन चढाते हैं इनकी भी जाँच होनी चाहिये क्योंकि इमानदारी द्वारा अपनी मेहनत से कमाए धन से कोई इतना बड़ा चढ़ावा नहीं चढ़ा सकता है। यह कैसा अन्धविश्वास है जो लोगो के सर चढ़ कर ऐसा बोलता है कि उन्हें इसके परिणाम स्वरुप राष्ट्र की घोर दुर्दशा भी नहीं दिखाई दे रही है।

समाचार चैनल वाला बता रहा है कि यह वही पेड़ है जिसके नीचे साईं बाबा कूड़े-करकट में बैठा करते थे – क्या इसीलिए ही यहाँ की जनता गंदगी से इतना प्रेम करती है क्योंकि इनके अनुसार ईश्वर ही कूड़े में बैठता था। क्यों लोगो पर यह महामूर्खता की ऐसी पर्त चढ़ हुई है कि इतनी बकवास तर्कहीन कहानिया सुन ने के पश्चात भी लोग किसी को भी ईश्वर मानने पर तैयार हो जाते हैं। क्यों लोग अपने राष्ट्र से विमुख हो गए हैं क्यों निरंतर आक्रमणों को चुपचाप मूर्तियों के भरोसे या किसी चमत्कार के भरोसे सहते जा रहे हैं।क्यों अपने इतिहास से नहीं सीखते हैं कि मुगलों की भारी मन्दिरों की लूट के समय भी छाती पीट-२ कर रोने से कोई चमत्कार नहीं हुआ था कोई भगवान बचाने नहीं था तथा उस समय जिन महान राजाओं राम-कृष्ण की मूर्तियों को पूजते थे यदि कुछ एक भी उनके अनुसरणकर्ता होते तो उन मुगलों का अंग-२ विच्छिन्न कर के उनकी लाशें बिछा देते और यह विकट परिस्तिथि भी नहीं देखने को नहीं मिलती। सोच सकते हैं कि लोगो ने एक कूड़े में बैठने वाले व्यक्ति को ईश्वर मानना आरम्भ कर दिया तो इस्लामिक हमले और चर्चों की कुटिल चालों से अपने आप को कहाँ से बचायेंगे। राम-कृष्ण को पूजते हैं तो भी एक बार को स्वीकार किया जा सकता है चलो कम से कम वो पृथ्वी के महान राजा और ज्ञानी पुरुष थे किन्तु हर किसी व्यक्ति को भगवान मान कर पूजने बैठ जाते हैं यह कहाँ की बुद्धिमानी है।

खैर पता नहीं क्या होगा इस देश का अभी-२ समाचारों में राहुल और दिग्विजय का बयान देखा कि प्रत्येक आतंकवादी हमले को नहीं रोका जा सकता है और पड़ोस में पकिस्तान में भी तो आतंकवादी हमले होते रहते हैं हम तो उनसे कहीं ज्यादा अच्छे हैं – इससे शर्मनाक डूब मरने लायक बयान नहीं हो सकता है कहने का मतलब है आदत डाल लो हम तो हिन्दुओं के मुंह पर ऐसे ही थूकेंगे और मुर्ख बनायेंगे और ऐसे ही हमले कारयेंगे थोडा सा नाटक करेंगे पर कोई कार्यवाही बिलकुल भी नहीं करेंगे कर लो हमारा क्या करोगे। जबकि दूसरी तरफ हिन्दू आपस में ही एक दूसरे को गुरु मान के पूज-२ के मूर्खता की गहरे सागर में गोते खा रहा है।

बुधवार, 13 जुलाई 2011

शान्ति के मजहब का देश को एक और प्यार-दुलार

मन दुखित और अत्यन्त क्रोधित है देश पर फिर से एक इस्लामिक आतंकी हमले के रूप में मुम्बई में ३ बम्ब विस्फोट में पचासों लोग मरें और घायल हुए और साथ में मीडिया का भोंकना शुरू - मुम्बई जिन्दादिलों की और लोगों ने दिखा दिया कि हम अपने काम पर फिर से लग जायेंगे और फिर से वही दिनचर्या अपना लेंगे और दिखा दिया हम आतंक से नहीं डरेंगे। अभी एक महान बयान महान सेकुलर लोगो से भी आना शेष हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म-मजहब नहीं होता है।

पुलिस ने इण्डियन मुजाहिदीन पर सन्देह किया है किन्तु अभी पूर्ण तरह से स्पष्ट नहीं है कि कौन सा मुस्लिम संगठन इसके पीछे है। और चर्चा आरम्भ हो गयी है कहाँ चूक हो गयी है। यह सारा प्रलाप कुछ दिन चल कर शान्त हो जायेगा और जनता की कथित बहादुरी का राग मीडिया बार-२ दोहराएगा। ऐसे ही जब भी दिल्ली में इस्लामिक हमले हुए हैं तब भी दिल्ली दिलवालो की कह कर इन्होने खूब जनता का उपहास उडाया।

मुझे महान आश्चर्य यह होता है कि इतिहास की महान कायरता को सहासिक बताने का ये लोग बार-२ दुस्साहस करते हैं किन्तु फिर भी किसी की रीढ़ में सिरहन पैदा नहीं होती। होना तो यह चाहिये जनता को अधिक से अधिक संख्या में एकत्रित होकर के इन नेताओं का घेराव, जबरदस्त विरोध प्रदर्शन करना चाहिये और यह भी पूछना चाहिये क्यों ऐसे हमला करने वाले कसाब और अफजल जैसे आतंकियों की सरकार द्वारा सेवा और निर्दोष साध्वी प्रज्ञा सिंह पर अमानवीय अत्याचार किये जाते हैं। क्यों खुल कर आतंकवादियों का इस्लाम की सेवा बताने वालो का धर्म-मजहब नहीं होता जबकि एक झूठे केस में फसाई हुई सुबह-शाम वंदे मातरम और भारत माता की जय बोलने वाली राष्ट्रवादी नारी को हिन्दू आतंकवाद से संबोधित करके पूर्ण विश्व में प्रचार करके बदनाम किया जाता है। क्यों काश्मीर से आये मुस्लिम अलगाववादियों के देश-विरोधी प्रदर्शन को शान्तिपूर्ण सह लिया जाता है जबकि देश सेवा के लिए तत्पर योगाचार्य रामदेव को और उनके शांतिपूर्ण देशसेवा के प्रदर्शन को बलपूर्वक अमानवीय अत्याचारों से दमन कर दिया जाता है यह तो केवल मैंने प्रज्ञा सिंह और रामदेव का एक उदाहरण रखा है वास्तव में तो भारत की हिन्दू जनता पर असंख्य हमलों की प्रत्यक्ष निरंतर घटनाएं हो रही हैं लिखने बैठूँगा तो इस लेख का कभी अन्त नहीं होगा।

अभी-२ चिदम्बरम का प्रेस-कोनफ्रेंस देख रहा हूँ वो ही रटे-रटाये मीडिया के महान मूर्खता भरे प्रश्न और वो ही रटे-रटाये उसके बकवास उत्तर। क्या होने वाला है इन बकवासबाजियों से हमेशा की तरह। ये लोग तो कसाब और अफजल जैसो की चरण-वंदना के लिए ही वहां बैठे हैं इनको और इनके मीडिया चाटुकारों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है यह इनका सारा नोटंकी-नाटक जनता को मुर्ख बनाने के लिए प्रत्येक हमले के पश्चात होता है इस बात को जनता कितनी बार में समझेगी यही समझ में नहीं आता।

रविवार, 10 जुलाई 2011

मन्दिर में सरकारी लूट और हिन्दुओं का अन्ध विश्वास

एक नये मंदिर घोटाले के लिए देश तैयार रहे. यदि आप अभी भी इस आशा में बैठे हुए हैं यह धन देश सेवा में लगेगा तो यह मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है. यदि त्रावणकोर राजसी परिवार इस धन से एक राष्ट्रवादी अभियान – जैसे की राष्ट्रवादी सत्य दिखाने वाला चैनल , पत्रिकाये, क्रांतिकारियों को तैयार करना इत्यादि में खर्च करता तो वास्तविक रूप से राष्ट्र की और ईश्वर की सेवा में इस धन का सदउपयोग होता पर अब हम छाती ही पीटते रहेंगे इस अंग्रेज सरकार के आगे पर यह धन सभी सेकुलरों और देशद्रोहियों में निश्चित रूप से बटना तय है. हिन्दुओं ने यही पिछले २०००-२५०० वर्षों से मूर्खता की है और अभी भी कर रहे हैं – मंदिरों में विशाल धन संपदा का ढेर लगा देते हैं, सोने , हीरे- जवाहरात की मूर्तियों गढ़ देते हैं और जब इन स्वर्णमूर्तियों, हीरे-जवाहरात और चढ़ावे के धन आदि को लूट लिया जाता है तो हा-हा करके छाती पीटके रोते हैं जबकि न यह हमारे धर्म में विधान है न कोई किसी भी महापुरुष द्वारा उपदेशित. फिर भी यह अन्धश्रद्धा में लुटने के लिए सदैव तैयार है और अपने सनातन वैदिक धर्म व् राष्ट्र से दूर होता जा रहा है जिसका उदाहरण सर्वत्र है प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. किन्तु राष्ट्र के नाम पर एक कौड़ी इनकी जेब से नहीं निकलती. मैं तो यह कहता हूँ इस धन को यदि कोई डाकुओं का कोई गिरोह आदि भी लूट ले तो भी इस सरकार की लूट से तो अच्छा होगा कम से कम क्योंकि कम से कम धन देश में तो रहेगा किन्तु यह सरकार तो विदेशियों को बेचकर बाहर ही बाहर इटली और स्विट्जरलैंड आदि देशों में इस धन को जमा कर देगी. सुप्रीम कोर्ट की कितनी चलती है यह भी सभी को पता ही है.

मन्दिरों का धन सरकारी लूट द्वारा चर्चों और मदरसों के राष्ट्रविरोधी विकास कार्यों में अनुदान के रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगता है इस बात को हिन्दू अच्छी तरह से जान लें तो या तो मन्दिरों का स्वरूप बदलना चाहिये या वहां धन का चढावा बंद ही कर दें. और जो भी तथाकथित बाबा स्वामी इत्यादि तुम्हें तर्कहीन बकवास के द्वारा तुम्हारे जीवन की समस्याओं को अवैज्ञानिक अन्धविश्वासों द्वारा दूर करने का दावा करते हैं उनको तुम्हारा सिरमौर नहीं वरन जेलों की सलाखों के पीछे होना चाहिये उदाहरण के तौर पर मैं आजकल एक नया बाबा निर्मल बाबा का टीवी पर प्रसारण देख रहा हूँ और लोग पागलो की तरह उस ढोंगी को ईश्वर की तरह पूजते हैं. ये टीवी चैनल इत्यादि इन ढोंगियों बाबाओं को जानबूझ कर प्रचार में सयोग देते हैं ताकि भारत की जनता मुर्ख ही बनी रहे. लगभग प्रत्येक समाचार चैनल ढोंगियों को बैठा कर लोगो का भविष्य बताता है जबकि जनता अपने सत्य शास्त्रों से अनजान यह भी नहीं जानती ज्योतिष-शास्त्र लोगो का भविष्य बताने के लिए नहीं है वरन प्रकाश विज्ञान और प्रकाश दूरी द्वारा नक्षत्र की स्तिथियाँ, गतियाँ आदि गणितीय पद्दति द्वारा बताने के लिए है. आज का कथित ज्योतिष शास्त्र असत्य वैज्ञानिक है. यह सब न्युमेरोलोजी, वास्तुशास्त्र, टैरोकार्ड द्वारा भविष्य या समस्या का समाधान बताना इत्यादि सब केवल बकवास है. कोई ग्रह , अंक पत्थर, घर में वस्तुओं की स्तिथिया मानव जीवन के साथ पक्षपात नहीं कर सकती यह सब जड़ है इसको समझो अपनी आत्मा जड़ मत बनाओ. किसी ग्रह या तारे में किसी प्रकार का परिवर्तन सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपना प्रभाव रखता है न की कुछ के लिए अच्छा और कुछ के लिए बुरा.

कहने का तात्पर्य है इन कुचक्रों से निकल कर अपने राष्ट्र को बचाओ जैसा की ऋग्वेद के मन्त्रों में भी लिखा है कि सभी को राष्ट्र-रक्षा में सदैव तत्पर रहना आवश्यक है अन्यथा इससे ज्ञान और मानव –समाज की अत्यन्त हानि होती है धर्म का नाश होता है सुख-समृद्धि दूर होकर दरिद्रता का विस्तार होता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है – आज हिन्दुओं का अतिक्रमण और महाविनाश उन्हीकी आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो रहा है दरिद्रता का अत्यन्त विस्तार हो रहा है किन्तु हिन्दुओं को फिर भी नहीं दिखाई दे रहा है वो तो बस अपने राहू-केतु , मंगल शनि आदि के प्रपंच में काठ का उल्लू बना हुआ है.

अत्यन्त प्राचीन समय में मन्दिर में केवल पुस्तकालय, वैदिक यज्ञशालायें और व्यायाम शालायें इत्यादि होते थे. यहाँ से सत्य ज्ञान के प्रचार के लिए कार्य होता था. योग प्रचार और स्वास्थ्य के लिए कार्य होता था. यज्ञों और वैदिक मंत्रो से वातावरण शुद्ध और सात्विक बना रहता था जिसे मानव का चित्त शान्त और सुखी रहे किन्तु आज अधिकतर मन्दिर केवल अन्धश्रद्धा, अवैज्ञानिकता और दिखावे का केन्द्रमात्र रह गए हैं. उदाहरण के तौर पर मेरे पड़ोस में एक मन्दिर है जिसमें प्रत्येक मूर्ति पर एक बिजली का पंखा फिट है इसे देख कर मुझे हसी के साथ दुःख भी हुआ की हिन्दू अपनी मूर्खता की पराकाष्ठा पर पंहुच चुका है इसका क्या होगा. आये दिन कोई शिरडी बाबा को करोडो का सिंहासन चड़ाता है कोई सोने की माला. ऐसे ही अधिकतर सभी मन्दिरों के हालात हैं और ऐसे ही लोग ढोंगी बाबाओं को भी धन से सरोबार करते हैं. और जबकि यह धन उन्हींके विरुद्ध कार्यों में लगता है. मूर्खो को आज लोग पण्डित या ब्राह्मण कह कर पुकारते हैं घोर आश्चर्य है.

इन सभी बातों का लाभ हमेशा राष्ट्र-विरोधी शक्तियों ने लिया है और आज भी ले रहे हैं किन्तु अभी भी कुछ समय है जागने का इस तन्द्रा से, घोर अन्धविश्वासों से, अवैज्ञानिकता से.

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

इस्लाम के बारे में विभिन्न विचारकों के विचार

निम्नलिखित विभिन्न विचारकों की बातें मैंने कई स्थान पर समय-२ पर पढ़ी हैं. लोगो को सत्य का अधिक से अधिक और जल्द से जल्द पता लगे इसलिए मैं भी इन बातों को अपने ब्लॉग पर डाल रहा हूँ. मानवता की भलाई के लिये प्रत्येक हिन्दू को ये विचार जानना और इसका प्रसार करना अतिआवश्यक है ताकि सभी जागृत रहें और जेहादियों के छलावे में कभी न आयें.

महर्षि दयानन्द सरस्वती

इस मजहब में अल्लाह और रसूल के वास्ते संसार को लुटवाना और लूट के माल में खुदा को हिस्सेदार बनाना शबाब का काम हैं । जो मुसलमान नहीं बनते उन लोगों को मारना और बदले में बहिश्त को पाना आदि पक्षपात की बातें ईश्वर की नहीं हो सकती । श्रेष्ठ गैर मुसलमानों से शत्रुता और दुष्ट मुसलमानों से मित्रता , जन्नत में अनेक औरतों और लौंडे होना आदि निन्दित उपदेश कुएं में डालने योग्य हैं । अनेक स्त्रियों को रखने वाले मुहम्मद साहब निर्दयी , राक्षस व विषयासक्त मनुष्य थें , एवं इस्लाम से अधिक अशांति फैलाने वाला दुष्ट मत दसरा और कोई नहीं । इस्लाम मत की मुख्य पुस्तक कुरान पर हमारा यह लेख हठ , दुराग्रह , ईर्ष्या विवाद और विरोध घटाने के लिए लिखा गया , न कि इसको बढ़ाने के लिए । सब सज्जनों के सामन रखने का उद्देश्य अच्छाई को ग्रहण करना और बुराई को त्यागना है ।।

-सत्यार्थ प्रकाश १४ वां समुल्लास विक्रमी २०६१


स्वामी विवेकानन्द
ऎसा कोई अन्य मजहब नहीं जिसने इतना अधिक रक्तपात किया हो और अन्य के लिए इतना क्रूर हो । इनके अनुसार जो कुरान को नहीं मानता कत्ल कर दिया जाना चाहिए । उसको मारना उस पर दया करना है । जन्नत (जहां हूरे और अन्य सभी प्रकार की विलासिता सामग्री है) पाने का निश्चित तरीका गैर ईमान वालों को मारना है । इस्लाम द्वारा किया गया रक्तपात इसी विश्वास के कारण हुआ है । -कम्प्लीट वर्क आफ विवेकानन्द वॉल्यूम २ पृष्ठ २५२-२५३

गुरु नानक देव जी

मुसलमान सैय्यद , शेख , मुगल पठान आदि सभी बहुत निर्दयी हो गए हैं । जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था ।
-नानक प्रकाश तथा प्रेमनाथ जोशी की पुस्तक पैन इस्लाममिज्म रोलिंग बैंक पृष्ठ ८०

महर्षि अरविन्द

हिन्दू मुस्लिम एकता असम्भव है क्योंकि मुस्लिम कुरान मत हिन्दू को मित्र रूप में सहन नहीं करता । हिन्दू मुस्लिम एकता का अर्थ हिन्दुओं की गुलामी नहीं होना चाहिए । इस सच्चाई की उपेक्षा करने से लाभ नहीं ।किसी दिन हिन्दुओं को मुसलमानों से लड़ने हेतु तैयार होना चाहिए । हम भ्रमित न हों और समस्या के हल से पलायन न करें । हिन्दू मुस्लिम समस्या का हल अंग्रेजों के जाने से पहले सोच लेना चाहिए अन्यथा गृहयुद्ध के खतरे की सम्भावना है । ।
-ए बी पुरानी इवनिंग टाक्स विद अरविन्द पृष्ठ २९१-२८९-६६६

सरदार वल्लभ भाई पटेल

मैं अब देखता हूं कि उन्हीं युक्तियों को यहां फिर अपनाया जा रहा है जिसके कारण देश का विभाजन हुआ था । मुसलमानों की पृथक बस्तियां बसाई जा रहीं हैं । मुस्लिम लीग के प्रवक्ताओं की वाणी में भरपूर विष है । मुसलमानों को अपनी प्रवृत्ति में परिवर्तन करना चाहिए । मुसलमानों को अपनी मनचाही वस्तु पाकिस्तान मिल गया हैं वे ही पाकिस्तान के लिए उत्तरदायी हैं , क्योंकि मुसलमान देश के विभाजन के अगुआ थे न कि पाकिस्तान के वासी । जिन लोगों ने मजहब के नाम पर विशेष सुविधांए चाहिंए वे पाकिस्तान चले जाएं इसीलिए उसका निर्माण हुआ है । वे मुसलमान लोग पुनः फूट के बीज बोना चाहते हैं । हम नहीं चाहते कि देश का पुनः विभाजन हो ।
-संविधान सभा में दिए गए भाषण का सार ।


बाबा साहब भीम राव अंबेडकर
हिन्दू मुस्लिम एकता एक अंसभव कार्य हैं भारत से समस्त मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और हिन्दुओं को वहां से बुलाना ही एक हल है । यदि यूनान तुर्की और बुल्गारिया जैसे कम साधनों वाले छोटे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमारे लिए कोई कठिनाई नहीं । साम्प्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहासास्पद होगा । विभाजन के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी । पाकिस्तान में रुके हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी ? मुसलमानों के लिए हिन्दू काफिर सम्मान के योग्य नहीं है । मुसलमान की भातृ भावना केवल मुसमलमानों के लिए है । कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है , इसीलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है । मुसलामनों के निष्ठा भी केवल मुस्लिम देश के प्रति होती है । इस्लाम सच्चे मुसलमानो हेतु भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी मानने की आज्ञा नहीं देता । संभवतः यही कारण था कि मौलाना मौहम्मद अली जैसे भारतीय मुसलमान भी अपेन शरीर को भारत की अपेक्षा येरूसलम में दफनाना अधिक पसन्द किया । कांग्रेस में मुसलमानों की स्थिति एक साम्प्रदायिक चौकी जैसी है । गुण्डागर्दी मुस्लिम राजनीति का एक स्थापित तरीका हो गया है । इस्लामी कानून समान सुधार के विरोधी हैं । धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते । मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती । वे भारत जैसे गैर मुस्लिम देश को इस्लामिक देश बनाने में जिहाद आतंकवाद का संकोच नहीं करते ।
-प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड १५१

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर गुरू जी
पाकिस्तान बनने के पश्चात जो मुसलमान भारत में रह गए हैं क्या उनकी हिन्दुओं के प्रति शत्रुता , उनकी हत्या , लूट दंगे, आगजनी , बलात्कार , आदि पुरानी मानसिकता बदल गयी है , ऐसा विश्वास करना आत्मघाती होगा । पाकिस्तान बनने के पश्चात हिन्दुओं के प्रति मुस्लिम खतरा सैकड़ों गुणा बढ़ गया है । पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ बढ़ रही है । दिल्ली से लेकर रामपुर और लखनउ तक मुसलमान खतरनाक हथियारों की जमाखोरी कर रहे हैं । ताकि पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण करने पर वे अपने भाइयों की सहायता कर सके । अनेक भारतीय मुसलमान ट्रांसमीटर के द्वारा पाकिस्तान के साथ लगातार सम्पर्क में हैं । सरकारी पदों पर आसीन मुसलमान भी राष्ट्र विरोधी गोष्ठियों में भाषण देते हें । यदि यहां उनके हितों को सुरक्षित नहीं रखा गया तो वे सशस्त्र क्रांति के खड़े होंगें ।
-बंच आफ थाट्स पहला आंतरिक खतरा मुसलमान पृष्ठ १७७-१८७


गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर
ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं । उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है । वे अपनी राष्ट्र भक्ति गैर मुस्लिम देश के प्रति नहीं रख सकते । वे संसार के किसी भी मुस्लिम एवं मुस्लिम देश के प्रति तो वफादार हो सकते हैं परन्तु किसी अन्य हिन्दू या हिन्दू देश के प्रति नहीं । सम्भवतः मुसलमान और हिन्दू कुछ समय के लिए एक दूसरे के प्रति बनवटी मित्रता तो स्थापित कर सकते हैं परन्तु स्थायी मित्रता नहीं ।
- रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृच्च्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर

लाला लाजपत राय

मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढ़ने के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है । मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिन्दुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओं के साथ एक नहीं हो सकते । क्या कोई मुसलमान कुरान के विपरीत जा सकता है ? हिन्दुओं के विरूद्ध कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा की क्या हमें एक होने देगी ? मुझे डर है कि हिन्दुस्तान के ७ करोड़ मुसलमान अफगानिस्तान , मध्य एशिया अरब , मैसोपोटामिया और तुर्की के हथियारबंद गिरोह मिलकर अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर देंगें ।
-पत्र सी आर दास बी एस ए वाडमय खण्ड १५ पृष्ठ २७५


समर्थ गुरू राम दास जी
छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू अपने ग्रंथ दास बोध में लिखते हैं कि मुसलमान शासकों द्वारा कुरान के अनुसार काफिर हिन्दू नारियों से बलात्कार किए गए जिससे दुःखी होकर अनेकों ने आत्महत्या कर ली । मुसलमान न बनने पर अनेक कत्ल किए एवं अगणित बच्चे अपने मां बाप को देखकर रोते रहे । मुसलमान आक्रमणकारी पशुओं के समान निर्दयी थे , उन्होंने धर्म परिवर्तन न करने वालों को जिन्दा ही धरती में दबा दिया ।
- डा एस डी कुलकर्णी कृत एन्कांउटर विद इस्लाम पृष्ठ २६७-२६८


राजा राममोहन राय
मुसलमानों ने यह मान रखा है कि कुरान की आयतें अल्लाह का हुक्म हैं । और कुरान पर विश्वास न करने वालों का कत्ल करना उचित है । इसी कारण मुसलमानों ने हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार किए , उनका वध किया , लूटा व उन्हें गुलाम बनाया ।
-वाङ्मय-राजा राममोहन राय पृष्ट ७२६-७२७

श्रीमति ऐनी बेसेन्ट
मुसलमानों के दिल में गैर मुसलमानों के विरूद्ध नंगी और बेशर्मी की हद तक तक नफरत हैं । हमने मुसलमान नेताओं को यह कहते हुए सुना है कि यदि अफगान भारत पर हमला करें तो वे मसलमानों की रक्षा और हिन्दुओं की हत्या करेंगे । मुसलमानों की पहली वफादार मुस्लिम देशों के प्रति हैं , हमारी मातृभूमि के लिए नहीं । यह भी ज्ञात हुआ है कि उनकी इच्छा अंग्रेजों के पश्चात यहां अल्लाह का साम्राज्य स्थापित करने की है न कि सारे संसार के स्वामी व प्रेमी परमात्मा का । स्वाधीन भारत के बारे में सोचते समय हमें मुस्लिम शासन के अंत के बारे में विचार करना होगा ।
- कलकत्ता सेशन १९१७ डा बी एस ए सम्पूर्ण वाङ्मय खण्ड, पृष्ठ २७२-२७५


स्वामी रामतीर्थ

अज्ञानी मुसलमानों का दिल ईश्वरीय प्रेम और मानवीय भाईचारे की शिक्षा के स्थान पर नफरत , अलगाववाद , पक्षपात और हिंसा से कूट कूट कर भरा है । मुसलमानों द्वारा लिखे गए इतिहास से इन तथ्यों की पुष्टि होती है । गैर मुसलमानों आर्य खालसा हिन्दुओं की बढ़ी संख्या में काफिर कहकर संहार किया गया । लाखों असहाय स्त्रियों को बिछौना बनाया गया । उनसे इस्लाम के रक्षकों ने अपनी काम पिपासा को शान्त किया । उनके घरों को छीना गया और हजारों हिन्दुओं को गुलाम बनाया गया । क्या यही है शांति का मजहब इस्लाम ? कुछ एक उदाहरणों को छोड़कर अधिकांश मुसलमानों ने गैरों को काफिर माना है । - भारतीय महापुरूषों की दृष्टि में इस्लाम पृष्ठ ३५-३६


http://www.hindusthangaurav.com/mahapurushon.asp से उद्धृत

बुधवार, 29 सितंबर 2010

इन्द्र- वृत्रासुर कथा

एक कथा वृत्रासुर की है जिसको मुर्ख लोगो ने ऐसा धर के लौटा है कि वह प्रमाण और युक्ति इन दोनों से विरुद्ध जा पड़ी है।

'त्वष्टा के पुत्र वृत्रासुर ने देवों के राजा इन्द्र को निगल लिया। तब सब देवता लोग बड़े भय युक्त होकर विष्णु के समीप गये, और विष्णु ने उसके मारने का उपाय बतलाया कि --मैं समुद्र के फेन में प्रविष्ट हो जाऊँगा। तुम लोग, उस फेन को उठाकर वृत्रासुर के मारना, वह मर जायेगा।'

यह पागलों की सी बनाई हुई पुराणग्रन्थों की कथा सब मिथ्या है।श्रेष्ठ लोगो को उचित है कि इनको कभी न मानें। देखो सत्यग्रन्थों में यह कथा इस प्रकार लिखी है कि --

(मैं यहाँ संस्कृत के श्लोक नहीं लिख पा रहा हूँ केवल उनका हिन्दी अनुवाद ही लिख रहा हूँ।)

(इन्द्रस्य नु०) यहाँ सूर्य का इन्द्र नाम है। उसके किये हुए पराक्रमों को हम लोग कहते हैं, जोकि परम ऐश्वर्य होने का हेतु बड़ा तेजधारी है। वह अपनी किरणों से 'वृत्र' अर्थात मेघ को मारता है। जब वह मरके पृथ्वी में गिर पड़ता है, तब अपने जलरूप शरीर को सब पृथ्वी में फैला देता है। फिर उससे अनेक बड़ी-२ नदी परिपूर्ण होके समुद्र में जा मिलती हैं। कैसी वे नदी हैं कि पर्वत और मेघों से उत्पन्न होके जल ही बहने के लिए होती हैं। जिस समय इन्द्र मेघरूप वृत्रासुर को मार के आकाश से पृथ्वी में गिरा देता है, तब वह पृथ्वी में सो जाता है।।१।।


फिर वही मेघ आकाश में से नीचे गिरके पर्वत अर्थात मेघमण्डल का पुनः आश्रय लेता है। जिसको सूर्य्य अपनी किरणों से फिर हनन करता है। जैसे कोई लकड़ी को छील के सूक्ष्म कर देता है। वैसे ही वह मेघ को भी बिन्दु-बिन्दु करके पृथ्वी में गिरा देता है और उसके शरीररूप जल सिमट-सिमट कर नदियों के द्वारा समुद्र को ऐसे प्राप्त होते हैं, कि जैसे अपने बछड़ों से गाय दौड़ के मिलती हैं।।२।।

जब सूर्य्य उस अत्यन्त गर्जित मेघ को छिन्न-भिन्न करके पृथ्वी में ऐसे गिरा देता है कि जैसे कोई मनुष्य आदि के शरीर को काट काट कर गिराता है, तब वह वृत्रासुर भी पृथ्वी पर मृतक के समान शयन करने वाला हो जाता है।।३।।

'निघण्टु' में मेघ का नाम वृत्र है(इन्द्रशत्रु)--वृत्र का शत्रु अर्थात निवारक सूर्य्य है,सूर्य्य का नाम त्वष्टा है, उसका संतान मेघ है, क्योंकि सूर्य्य की किरणों के द्वारा जल कण होकर ऊपर को जाकर वाहन मिलके मेघ रूप हो जाता है। तथा मेघ का वृत्र नाम इसलिये है कि वृत्रोवृणोतेः० वह स्वीकार करने योग्य और प्रकाश का आवरण करने वाला है।

वृत्र के इस जलरूप शरीर से बड़ी-बड़ी नदियाँ उत्पन्न होके अगाध समुद्र में जाकर मिलती हैं, और जितना जल तालाब व कूप आदि में रह जाता है वह मानो पृथ्वी में शयन कर रहा है।।५।।

वह वृत्र अपने बिजली और गर्जनरूप भय से भी इन्द्र को कभी जीत नहीं सकता । इस प्रकार अलंकाररूप वर्णन से इन्द्र और वृत्र ये दोनों परस्पर युद्ध के सामान करते हैं, अर्थात जब मेघ बढ़ता है, तब तो वह सूर्य्य के प्रकाश को हटाता है, और जब सूर्य्य का ताप अर्थात तेज बढ़ता है तब वह वृत्र नाम मेघ को हटा देता है। परन्तु इस युद्ध के अंत में इन्द्र नाम सूर्य्य ही की विजय होती है।

(वृत्रो ह वा०) जब जब मेघ वृद्धि को प्राप्त होकर पृथ्वी और आकाश में विस्तृत होके फैलता है, तब तब उसको सूर्य्य हनन करके पृथ्वी में गिरा देता है। उसके पश्चात वह अशुद्ध भूमि , सड़े हुये वनस्पति, काष्ठ, तृण तथा मलमुत्रादि युक्त होने से कहीं-कहीं दुर्गन्ध रूप भी हो जाता है। तब समुद्र का जल देखने में भयंकर मालूम पड़ने लगता है। इस प्रकार बारम्बार मेघ वर्षता रहता है।(उपर्य्युपय्यॅति०)--अर्थात सब स्थानों से जल उड़ उड़ कर आकाश में बढ़ता है। वहां इकट्ठा होकर फिर से वर्षा किया करता है। उसी जल और पृथ्वी के सयोंग से ओषधी आदि अनेक पदार्थ उत्पन्न होते हैं।उसी मेघ को 'वृत्रासुर' के नाम से बोलते हैं।

वायु और सूर्य्य का नाम इन्द्र है । वायु आकाश में और सूर्य्य प्रकाशस्थान में स्थित है। इन्हीं वृत्रासुर और इन्द्र का आकाश में युद्ध हुआ करता है कि जिसके अन्त में मेघ का पराजय और सूर्य्य का विजय निःसंदेह होता है।

इस सत्य ग्रन्थों की अलंकाररूप कथा को छोड़ कर मूर्खों के समान अल्पबुद्दी वाले लोगो ने ब्रह्मा-वैवर्त्त और श्रीमद्भागवतादि ग्रन्थों में मिथ्या कथा लिख रखी हैं उनको श्रेष्ठ पुरुष कभी न मानें।