भारत वर्ष की लगातार अत्यन्त त्रुटिपूर्ण शिक्षा का ही ये कमाल है की हम अपने देश में ही अपने आप को विदेशी आक्रमणकारी की संज्ञा से संबोधित करते हैं जिस के कारण बहुत सारे लोग (और इसमें लगातार वृद्धि भी हो रही है) अपने को आर्य और कुछ को द्रविड़ बताते हैं और जिसके कारण उनके ह्रदय एक नही हो पाते हैं और वो अपने आप को अलग संस्कृति का मानते हैं ये बड़ी ही विकट और हास्यास्पद बात है कि काफी सारे दक्षिण भारतीय लोग अब भी उत्तरी भारतीय लोगो को आक्रमणकारी और अलग संस्कृति का समझते हैं और इनकी इस समझ में बहुत सारे नेता उत्तरी भारतीय लोग भी बढ़-चढ़ कर साथ देते हैं जिससे देश विखंडन कि और बढ़ रहा है। करीब १५० साल पहले ब्रिटिश शाशकों द्वारा बड़ी चालाकी से भारतीय शिक्षा में ये लिखवा दिया गया कि उत्तरी भारतीय लोग यहाँ के नही हैं मध्य एशिया से यहाँ पर आए हैं और उन्होंने यहाँ पर यहाँ के वास्तविक लोगो पर कब्जा कर लिया बाद में उनका साथ हमारे महा बेवकूफ और चरित्रहीन नेता जवाहर लाल नेहरू ने एक तर्कहीन महाबकवास किताब उन्ही की नक़ल से डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया लिख कर महांचापलूसी और बुद्दिहीनता का परिचय दिया। इस बात का आज कि पीडी पर बड़ा ही कुप्रभाव पड़ा है। उनके पास कोई भी प्रमाण नही है कि आर्य बाहर से आए हैं सिर्फ़ बेसिर-पैर कि बातों के अलावा। जैसे NCERT की पुस्तकों में लिखा है कि “आर्य पहले कहीं साउथ रूस से मध्य एशिया के मध्य में कही रहते थे क्युकी कुछ जानवरों के नाम जैसे dog, horse, goat (कुत्ता,घोडा , बकरी) आदि और कुछ पोधो के नाम पाइन, मेपल आदि जैसे शब्द सभी इंडो- यूरोपियन भाषाओं में एक जैसे हैं इससे ये पता लगता है कि आर्य नदियों और जंगलों से परिचित थे।“ सब से पहले तो ये इंडो-यूरोपियन भाषा का कोई अस्तित्व नहीं है और विश्व की सभी भाषाओं में तुम्हे संस्कृत के शब्द मिल जायेंगे सभी भाषाओं के आदि में संस्कृत है जरा शोध करके तो देखो। खैर ये एकदम से बेसिर-पैर और अतार्किक बात है जो NCERT कि पुस्तकों में लिखी है भाषाई शब्द और यहाँ तक कि व्याकरण से इंग्लिश, ग्रीक, इटालिक अरेबिक , हिन्दी(संस्कृत) और विश्व की कई अन्य भाषाओं में एक जैसे शब्द पाए जाते हैं किंतु इससे ये तो सिद्ध नही होता और ना ही कोई प्रमाण मिलता कि इंग्लिशमैन,इटालियन , अरब और भारतीयों के एक ही पूर्वज थे ये तो बिल्कुल बेवकूफी वाली बात है। कुछ भारतीयों को भारतीयों द्वारा लिखित या हिन्दी में लिखित बातों पर शायद विश्वास नहीं होगा तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की विंसेंट ऐ स्मिथ द्वारा लिखित पुस्तक "हिस्टरी ऑफ़ इंडिया" में साफ शब्दों में लिखा है "भाषा कोई आधार नही है एक जातीय होने के लिये"। NCERT की पुस्तक में ये भी लिखा है “आर्य १५०० वर्ष ईसा पूर्व से कुछ पहले भारत में आये जबकि कोई भी ऐसा पुरातात्विक विश्लेषण इसको सिद्ध नही कर सकता और ना ही तुम्हे कहीं मिलेगा” अगर मिलता तो हमें भी बताओ जरा।
अब जरा एक बात अपनी बुद्दी से और अनुसंधान करके सोच कर बताओ जो सब कुछ वेदों में लिखा है और जो भी कुछ हमारे रीती रिवाज़ हैं और जो हमारी जीवन दर्शन का सिद्धांत है वो इस विश्व में कही भी नही है अगर आर्य बाहर से मध्य से आते तो उनके वहाँ भी तो तो कुछ प्रमाण होने चाहिए जबकि हमारी संस्कृति और उनमें धरती-आसमान का अन्तर दिखाई देता है। शायद मेरी बात को आप में से कुछ लोग स्वीकार नही करेंगे तो मैं यहाँ उनके लिये कुछ ब्रिटेनिका एनसाईक्लोपीडिया से लिये गए बातो को लिख रहा हूँ ।
१) आर्यों में कोई गुलाम बनाने का कोई रिवाज़ नही था।
समीक्षा - जबकि मध्य एशिया अरब देशो में ये रिवाज़ बहुत रहा है।
२) आर्य प्रारम्भ से ही कृषि करके शाकाहार भोजन ग्रहण करते आ रहें है।
समीक्षा - मध्य एशिया में मासांहार का बहुत सेवन होता है जबकि भारत में अधिकतम सभी आर्य या हिंदू लोग शाकाहारी हैं३) आर्यों ने किसी देश पर आक्रमण नहीं किया
समीक्षा- अधिकतम अपनी सुरक्षा के लिये किया है या फ़िर अधर्मियो और राक्षसों (बुरे लोगो) का संहार करने के लिये और लोगो को अन्याय से बचाने के लिये और शिक्षित करने के लिये किया है। इतिहास साक्षी है अरब देशो ने कितने आक्रमण और लौट-खसोट अकारण ही मचाई है।
४) आर्यों में कभी परदा प्रथा नही रही बल्कि वैदिक काल में स्त्रियाँ स्नातक और भी पढी लिखी होती थी उनका आर्य समाज में अपना काफी आदर्श और उच् स्थान था ( मुगलों के आक्रमण के साथ भारत के काले युग में इसका प्रसार हुआ था) समीक्षा- जबकि उस समय मध्य एशिया या विश्व के किसी भी देश में स्त्रियों को इतना सम्मान प्राप्त नही था।
५)आर्य लोग शवो का दाह संस्कार या जलाते हैं जबकि विश्व में और बाकी सभी और तरीका अपनाते हैं।
समीक्षा - ना की केवल मध्य एशिया में वरन पूरे विश्व में भारतीयों के अलावा आज भी शवो को जलाया नही जाता।
६) आर्यों की भाषा लिपि बाएं से दायें की ओर है।
समीक्षा - जबकि मध्य एशिया और इरानियो की लिपि दायें से बाईं ओरहै
७)आर्यों के अपने लोकतांत्रिक गाँव होते थे कोई राजा मध्य एशिया या मंगोलियो की तरह से नही होता था।
समीक्षा - मध्य एशिया में उस समय इन सब बातो का पता या अनुमान भी नही था
८)आर्यों का कोई अपना संकीर्ण सिद्दांत या कानून नही था वरन उनका एक वैश्विक अध्यात्मिक सिद्दांत रहा है जैसे की अहिंसा, सम्पूर्ण विश्व को परिवार की तरह मानना। समीक्षा -मध्य एशिया या शेष विश्व में ऐसा कोई सिद्दांत या अवधारणा नही है।
९)वैदिक या सनातन धर्म को कोई प्रवर्तक या बनाने वाला नहीं है जैसे की मोहम्मद मुस्लिमों का, अब्राहम ज्युष का या क्राईस्ट क्रिश्चियन का और भी सब इसी तरीको से।
समीक्षा - मध्य एशिया या शेष विश्व में भारतीयों या हिन्दुओं के अतिरिक्त सभी के अपने मत हैं और सभी में और मतों की बुराई और अपनी तारीफ़ लिखी गई है जबकि हिन्दुओं या आर्यों ने हमेशा समस्त विश्व को साथ लेकर चलने की बात कही गई है।
१०) वेदों में या किसी भी संस्कृत साहित्य में कहीं भी ये वर्णन नहीं है की आर्य जाती सूचक शब्द है और कोई मध्य एशिया से आक्रमणकारी यहाँ आ कर बसे हैं जिन्होंने वेदों की रचना की है।
समीक्षा -जबकि इस बात को विश्व में सभी सर्वसहमति से स्वीकारते हैं की वेद विश्व की सबसे पुराने ग्रन्थ हैंऔर किसी भी भारतीय उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत या अन्य किसी में भी कहीं भी ये एक शब्द भी नही मिलता की आर्य बाहर से आए हैं जबकि आर्य कोई जातिसूचक शब्द ना हो कर के उसका अर्थ श्रेष्ट है।
अब विचार करने योग्य ये है ये सभी बातें भारतीयों या हिन्दुओं के अलावा विश्व में कहीं और क्यों नही पाई जाती यदि हम आक्रमणकारी थे तो हमारे सिद्दांत या रीती रिवाज़, समाज या अन्य धार्मिक क्रिया-कलाप किसी और विश्व की सभ्यता में क्यों नही पाए जाते अगर वास्तव में हम आक्रमणकारी हैं तो हमारी मूल स्थान कहीं तो होगा जैसे की अधिकतर लोगो का मानना मध्य एशिया हमारा मूल स्थान है उनमें क्या एक भी गुण हम आर्यों के सिद्दान्तो या जीवनदर्शन से मिलता है बल्कि मूल स्थान पर ये गुण अधिक पाये जाने चाहिए थे। हम इस विश्व में शेष विश्व से अपनी एक अलग पहचान रखते हैं और ऐसे हजारों तथ्य हैं जो इस बात को सिद्ध करते हैं हम भारतीय मानव के जन्म काल से भारतवासी हैं। मेरे विचार से इससे बड़ी हास्यास्पद और विकट समस्या भारतीयों के लिये हो नहीं सकती अगर वो अपने को इस देश का मूल निवासी नही मानते। क्युकी इससे राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान पर सीधा आघात होता है जैसा की ब्रिटिश चाहते ही थे और इनके उद्देश्य को पूर्ण करने में पिछले १५० सालो से हमारे नेताओं ने जोकि अधिकतर भारतीयों की खाल में वेदेशी घुसे हुए हैं ने कोई कमी नही छोडी है जिससे आजकल की पीडी अपने राष्ट्र और संस्कृति से भी कटने लगी है। खैर देखते और आशा भी करते है भारत अपने इस काले युग से बाहर निकल कर फ़िर से अपने पैरो पर खड़ा हो कर के चलेगा किसी दिन।
धन्यवाद एवं शुभ कामनाओं सहित,
आपका मित्र सौरभ आत्रेय
27 टिप्पणियां:
i am totally agree with him.
bcoz i am also believe that Aryans not came form Russia or other country.
yeh eaglishmen dwara man granth theory.is theory ke dwara way yeh iddh karan chata the ke jis tum logon ne arthath hinduon ne is bharat bhumi per akar ise luta vaisa hum bhi loot raha hain. unki is thory main hamara des ke kuch rastrawadi historian jaisa bal ganga tilak fansh gaya.vaam panthi logon to kehna hi kya wo to deshdrohi aur hindu virodhi hai isliya yeh baat purneta assyta hai
i am not agree with you sir..becouse it is proved that sindhu culture has been distroyed by someone and just after it aarya peoples came in india....if aarya belongs to india than way dose nobody knows about sindhu culture,it is becouse sindhu culture has been distroyed....shudras are original people of india and aarya(bramhan) has rulled over them after coming here....and british rulers told us about the fact and thier theoryies are depends oupen the records....
Main bhi kehne chata hoon ki in hinduo ko samjhao koi nahi to ye sab dharam ke thekedar is aryavart ko kahin ka nahi chodenge.hum arya the arya hai or arya hi rahennge. agar is desh ko bachana hai to arya bano or arya banao , ved ko pado vedo ko padao , are kam se kam sab hindu ek baar satyarh parkash hi pad le . shayad tabhi inhe kuch samajh aa jaye. kyon ki ye muslim desh to is desh ko bas lutna hi chate hai pehle bhi luta ab bhi lutenge. waqt hai abhi bhi sambahl jao hinduo.
sindhu culture was destroyed by environmental reasons. their area suddenly became arid.
in the vedas certain astronomical positions of events are given, such as position of stars during certain events. Tilak calculated by these that aryan religion is millions of year old.
जी हा महोदय अगर वास्तविकता से निरिक्षण किया जाये तो ये आर्यव्रत देश नहीं है,,,,,,और रही बात आर्यों के बाहर से आने की तो ये बात सिद्ध हो चुकी है की आर्य यूरेशिया से आये थे,चाहे तो आप ये लिंक देख सकते है http://sandeep-nigam.blogspot.com/2009/10/blog-post_05.html और रही बात पश्चीमी विद्वानों की तो उन्होंने बिलकुल सही तर्क दिया है,आप ऋग वेद में ही देख ले,पुरे ऋग वेद में इन्द्र से सिर्फ यही प्राथना की गई है की हमारे सत्रुओ ने नगरो का नाश कीजिये,आखिर उस समय वो नगर कौन से थे,वे नगर थे सिन्धु घाटी के,जिसपर आर्यों ने आकरमण किया था,आप सही है आर्य कोई जाती नहीं है कुछ लोग थे जो खुद को श्रेष्ठ समझते थे और खुद को आर्य कहा करते थे और इन्ही लोगो ने भारत पे कब्ज़ा किया.....पूरा ऋग वेद सिर्फ इन्द्र की स्तुतियो से भरा हुआ है जिसमे इन्द्र से शत्रुओ का नाश करने को कहा गया है...शिव ,विष्णु और ब्रम्हा का भी अंशमात्र ही उल्लेख मिलता है....और भारत की मूल भाषा पाली है संस्कृत नहीं......यहाँ तक की कई लोगो के DNA तो इरान से भी मिले है......इतिहास साक्षी है की जब भी किसी ने किसी देश पे आकरमण किया तो सबसे पहले उसके इतिहास को नष्ट किया ताकि वह के मूलनिवासी प्रगति न कर पाए,और यही हुआ भारत के मूलनिवासियो के साथ....आर्यों के प्रमाण यूरेशिया में मिल चुके है और भारत में ये बात साबित हो चुकी है की भारत में दो प्रकार की नस्ल पाई गई है एक उत्तर भारतीय और दूसरा दक्षिण भारतीय........मैं आपके तर्कों के जवाब में कुछ उत्तर दे रहा हु...(१)आर्यों में गुलाम बनाने की प्रथा नही थी इसलिए उन्होंने यहाँ के मूलनिवासियो को वर्ण व्यवस्था के जाल में फसाया और शुद्र बनाया क्युकी गुलाम तो विद्रोह कर सकता है पर धार्मिक आस्था से बंधा हुआ इन्सान कभी विद्रोह नहीं कर सकता,और शुद्रो को उनकी इस स्तिथि के लिए इश्वर द्वारा रचित न्याय बताया गया......(२)आपका एतिहासिक ज्ञान बेहद निम्न कोटि है,आर्य अथवा वैदिक ब्राम्हण यज्ञ हेतु पशुबलि का उपयोग करते थे और यहाँ तक की गौ मांस का सेवन भी करते थे तत्पश्चात भगवान बुद्ध ने इसके खिलाफ आवाज उठाई...आज ब्राम्हण शाकाहारी है पर बुद्ध काल से पहले नहीं थे...और जिन राक्षसों की आप बात कर रहे है वो कोई और नहीं इस देश के मूलनिवासी है जो आज शुद्र कहे जाते है.....वैदिक काल में स्त्रियों की जितनी बुरी हालत रही है वैसी कभी न थी,सती प्रथा के बारे में आप क्या कहेंगे?(५)वेद और इरान के अवेस्ता में बहुत ही ज्यादा समानता पाई गई है...............समीक्षा--किसने कहा वेद विश्व के सबसे पुराने ग्रन्थ है वेदों का काल ज्यादा से ज्यादा २५०० इसा पूर्व तक का है...आर्यों रीती रिवाज थे ही नहीं तो पाए कहा से जायेंगे,आर्य एक घुमंतू कबीला था,उनका कोई निश्चित स्थान नहीं था,,,हा अब जा कर भारत जरुर बन गया है....अगर आप और चर्चा करना चाहते है तो प्रतिक्रिया कर सकते है.........
"यहाँ तक की कई लोगो के DNA तो इरान से भी मिले है"
भैया जी ,विश्व भर में चंगेज़ खान की सबसे ज्यादा औलादे है भारत में भी कुछ है इसका ये मतलब नहीं की हम मोंगोल के है :) इसी तरह जब विदेशी आक्रमणकारी भारत आये ,तो आप समझ ही गए होंगे डीएनए इरान से कैसे आया |
"इतिहास साक्षी है की जब भी किसी ने किसी देश पे आकरमण किया तो सबसे पहले उसके इतिहास को नष्ट किया ताकि वह के मूलनिवासी प्रगति न कर पाए,और यही हुआ भारत के मूलनिवासियो के साथ"
आपकी बात खुद आपको गलत साबित करती है ,मुगलों ,अंग्रेजो आदि के बाद अपने जो इतिहास पढ़ा वो क्या शुद्ध हो सकता है :)
"(२)आपका एतिहासिक ज्ञान बेहद निम्न कोटि है,आर्य अथवा वैदिक ब्राम्हण यज्ञ हेतु पशुबलि का उपयोग करते थे और यहाँ तक की गौ मांस का सेवन भी करते थे तत्पश्चात भगवान बुद्ध ने इसके खिलाफ आवाज उठाई...आज ब्राम्हण शाकाहारी है पर बुद्ध काल से पहले नहीं थे" भैया जी अगर आप की बात मने तो, जो रामायण एवं गीता में लिखा है की ब्रहामणयज्ञ हेतु पशुबलि का उपयोग नहीं करते थे और किसी भी मांस का सेवन भी करते थे,वो गलत है |और जहाँ तक मुझे मालूम है रामायण एवं गीता बुद्ध जी के पहले भी थी |रहा सवाल बुद्ध जी का उन्हें सुधरने का तो हाँ आप ये कह सकते है पहले ब्राह्मण अच्छा था, फिर बिगाड़ा ,फिर अभी की हालत जो बुद्ध जी की देंन हो सकती है :)
"वैदिक काल में स्त्रियों की जितनी बुरी हालत रही है वैसी कभी न थी"
क्या बात है वेदिक काल में स्त्रियों की हालत इतनी खराब थी अच्छा ,चंद्रगुप्त मौर्य की मुख्य अंगरक्षक एक स्त्री थी जो उनके हाथी पर भी उनके साथ बैठती थी|मुझे लगता है आप अभी भी मुगलों के पुर्दा काल में जीवित है जब आक्रान्ताओ से बचने के लिए स्त्रियां ज्वर कर लेती थी |
भाई ,ये देख लेना अगर अभी भी आर्यो के इतिहास पर कुछ अनिशिचता हो |
http://www.youtube.com/watch?v=k8NpaG0cAGo&list=PL3C3AFAC679
".वैदिक काल में स्त्रियों की जितनी बुरी हालत रही है वैसी कभी न थी,सती प्रथा के बारे में आप क्या कहेंगे? "
क्यों अनर्थ विचरते हो भाई ?
सती प्रथा यदि हिन्दू धर्मं (वेदों ) का अंग होती , तो क्यों नहीं कौशल्या को सती किया गया?
तो क्यों नहीं कैकेयी को सती किया गया?
तो क्यों नहीं कुंती को सती किया गया?
तनिक विचारो , ये मुसलमानों के हरम से बचने और बचने के लिए ही ललनाओ ने अपने पतियों की जलती चिता में छलांग लगाई थी !!
फिर उसके बाद लोगो ने इसे कुछ नवीन तथा अप्रमाणिक ग्रंथो में प्रक्षिप्त कर दिया तो क्या आश्चर्य ??
बहुत सही जवाब दिया है , और भी जवाब है ऐसे, ये लोग खुद गलत इतिहास पढ़ते है दुसरो द्वारा लिखा हुवा, फिर कहते है हम ही गलत है , वो सही है
अरे सोचने वालो खुद को पहचानो , वेद की बात करते है , सच ही कहा है , साधारण बुध्धि वाले को वेड पढ़ना ही नहीं चाहिए इसीलिए तो शायद वेद केवल ब्रम्हां ही पड़ता था क्योकि वही उसका असली समझता था , विस्तार से इन महोदय का जवाब दीजिये सर जो अपने ही सच्चे धर्मं पर संदेह करते है
ppuratato ki khudai me aisa koi bhi prman nahi mila hai jo yeh sabit kare ki aarya bahar se aaye the. are satish bhai thoda sa itihas pad lo fir bahas dro bhagwan aapko sadbuddhi de
u have same qualities of gret rajiv dixit
आर्य भारत के मुल निवासी हे. बाकी सब बाहरी आक्रमण कारी हे. जिन को आर्यो ने हराया हे. शक, हुन, कुशाण, बॅक्ट्रीयण, अरब, अफ़गाण, मुगल, तुर्की, ब्रिटीश, इन सबके वंशज आज भि इस भारत देश मे हे. ये सब आर्यो से हारे हुए हे. ऒर ये देश आज भि भारत हे. ऒर भविष्य मे भि आर्य देश हि रहेगा.
kya aap murkh hai Satish jab itne praman aapke pas tab bhi aapko sahi baato par vishwas nahi hain to buddhi ko thoda sahi karo aur pta lagao ki max muler ne hamare ved or purano ke sath ched chad ki thi ki nahi or jab ye pta chal jaay tab ye bhi pta lagana ki aaj kal usi ke ved puran hi zyada milte hai or tumhari budhdhi bhi shayad usi se kharab hui hai
why fighting like stupids? after all we all are human
आर्य और (काले )आदीवासी एक जगह केसे रहते थे.....क्या आर्य fair and lovely लगाते थे...?
Arya bhar se aye the yeh theory sirf foregn itihaskaro ne di hai. vo bhee bina kisi biological proof ke
ऋग्वेद में इन्द्र का कथन आता है (१०.८६.१४), "वे पकाते हैं मेरे लिये पन्द्र्ह बैल, मैं खाता हूँ उनका वसा और वे भर देते हैं मेरा पेट खाने से" । ऋग्वेद में ही अग्नि के सन्दर्भ में आता है (१०. ९१. १४)कि "उन्हे घोड़ों, साँड़ों, बैलों, और बाँझ गायों, तथा भेड़ों की बलि दी जाती थी.."
क्या आर्य शाकाहारी थे...?
http://aryamantavya.in/whether-arya-came-from-iran/ इसे भी पढे दोस्तो आर्यो के बारे मे जानकारी है
I suggest you quit engineering and teach history
Teri maa ki jai
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